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26 February ko konsa divas hai

🌍 विश्व पर्यावरण शिक्षा दिवस (World Environmental Education Day)
परिचय:
विश्व पर्यावरण शिक्षा दिवस प्रतिवर्ष 26 फरवरी को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और पर्यावरणीय मुद्दों की जानकारी प्रदान करना है। यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार या कुछ संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी अनिवार्य है।

🌱 पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य:

पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य लोगों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता और उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है। यह शिक्षा लोगों को यह सिखाती है कि वे किस प्रकार से अपने जीवनशैली में बदलाव करके पर्यावरणीय संकटों को कम कर सकते हैं।

🏛️ इतिहास और पृष्ठभूमि:

विश्व पर्यावरण शिक्षा दिवस की शुरुआत 1975 में बेलग्रेड (यूगोस्लाविया, वर्तमान सर्बिया) में आयोजित "बेलग्रेड सम्मेलन" (Belgrade Charter) के बाद हुई थी। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में विश्वभर के पर्यावरण विशेषज्ञों ने भाग लिया था और एक चार्टर पारित किया था, जिसमें पर्यावरण शिक्षा को वैश्विक आवश्यकता बताया गया था।
बेलग्रेड चार्टर के आधार पर ही पर्यावरण शिक्षा के मूलभूत सिद्धांतों को तय किया गया और बाद में इस दिशा में कार्य करते हुए 26 फरवरी को विश्व पर्यावरण शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

🎯 महत्व और उद्देश्य:

पर्यावरणीय चेतना: इस दिन का मुख्य उद्देश्य आम लोगों में पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
शिक्षण संस्थानों में भागीदारी: स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों में इस दिन से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति रुचि और उत्तरदायित्व की भावना को बढ़ावा दिया जाता है।
नीतियों को बढ़ावा देना: सरकारें और सामाजिक संगठन इस दिन को उपयोग में लाकर पर्यावरण संरक्षण संबंधी नीतियों का प्रचार-प्रसार करते हैं।

📚 पर्यावरण शिक्षा के घटक:

पर्यावरण शिक्षा के निम्नलिखित प्रमुख घटक हैं:
प्रकृति के प्रति समझ और संवेदना का विकास
स्थानीय और वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं की जानकारी
समस्याओं के समाधान हेतु निर्णय लेने की क्षमता का विकास
व्यवहार में बदलाव लाने की प्रेरणा

🌿 पर्यावरणीय समस्याएँ जिन पर जागरूकता आवश्यक है:

वायु प्रदूषण: वनों की कटाई, औद्योगीकरण और वाहनों की अधिकता से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
जल संकट: भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन और नदियों का प्रदूषण जल संकट को जन्म दे रहा है।
जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वॉर्मिंग, बर्फबारी में कमी और मौसम के चरम रूपों में बदलाव इसके मुख्य उदाहरण हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण: एकल-प्रयोग प्लास्टिक उत्पादों का अत्यधिक उपयोग पृथ्वी के लिए खतरनाक बनता जा रहा है।

🧒 बच्चों और युवाओं की भूमिका:

बच्चे और युवा किसी भी परिवर्तन के वाहक होते हैं। पर्यावरण शिक्षा उन्हें जागरूक नागरिक बनने में मदद करती है। स्कूलों में वृक्षारोपण, प्लास्टिक मुक्त अभियान, जल संरक्षण अभियान जैसे कार्यक्रमों के जरिए उन्हें प्रेरित किया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ (26 फरवरी के दिन):

26 फरवरी को इतिहास में कुछ प्रमुख घटनाएँ भी घट चुकी हैं:
1993 – अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर पहली बार बम हमला हुआ।
2019 – भारत और पाकिस्तान के बीच पुलवामा हमले के बाद तनाव चरम पर था, और इसी दौरान भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की तैयारी शुरू की थी (हकीकत में यह घटना 26 फरवरी की रात को हुई थी)।


📝 निष्कर्ष:

26 फरवरी का दिन हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसे जीवन मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों से जोड़ना भी आवश्यक है। पर्यावरण शिक्षा न केवल हमारे बच्चों के लिए, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए अनिवार्य है। यदि हम पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें पर्यावरण शिक्षा को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बनाना होगा।

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