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7 chakra of Kundalini in hindi

कुंडलिनी के 7 चक्र

एक विस्तृत ई-बुक गाइड

यह मार्गदर्शिका कुंडलिनी के सात चक्र, उनके लक्षण, प्रतीक और महत्व को सहज हिंदी में प्रस्तुत करती है।

लेखक: [Gramin Farmer]

परिचय

7 चक्र योग और हिन्दू दर्शन के अनुसार शरीर के मुख्य ऊर्जा केंद्र हैं। ये रीढ़ की हड्डी के आधार से शुरू होकर सिर के शीर्ष तक फैले हैं। इनके संतुलन से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। इस ई-बुक में प्रत्येक चक्र के गुण, प्रतीक, मनोवैज्ञानिक जुड़ाव तथा संतुलन/असंतुलन के प्रभाव सरल हिंदी में बताए गए हैं।

1. मूलाधार (मूल चक्र)

  • स्थान: रीढ़ की हड्डी का आधार (पेरिनियम)
  • रंग: लाल
  • तत्व: पृथ्वी
  • पंखुड़ियाँ: 4
  • मंत्र: लम्
  • प्रतीक: वर्ग और उलटा त्रिकोण
  • मुख्य गुण: स्थिरता, सुरक्षा, जड़ता, अस्तित्व
  • संतुलन में: सुरक्षा, स्थिरता, आत्मविश्वास
  • असंतुलन में: भय, चिंता, असुरक्षा, आर्थिक अस्थिरता

मूलाधार सभी चक्रों की नींव है। इसके जागरण से जीवन में स्थिरता आती है।

2. स्वाधिष्ठान (स्वाधिष्ठान चक्र)

  • स्थान: नाभि के नीचे, निचला पेट
  • रंग: नारंगी
  • तत्व: जल
  • पंखुड़ियाँ: 6
  • मंत्र: वम्
  • प्रतीक: अर्धचंद्र
  • मुख्य गुण: रचनात्मकता, कामेच्छा, आनंद, भावनात्मक संतुलन
  • संतुलन में: सृजनशील, भावनात्मक रूप से संतुलित
  • असंतुलन में: अपराधबोध, अवसाद, रचनात्मकता में बाधा

यह चक्र रचनात्मक ऊर्जा, भावनाओं और संबंधों को नियंत्रित करता है।

3. मणिपूर (सौर चक्र)

  • स्थान: नाभि क्षेत्र
  • रंग: पीला
  • तत्व: अग्नि
  • पंखुड़ियाँ: 10
  • मंत्र: रम
  • प्रतीक: नीचे की ओर त्रिकोण
  • मुख्य गुण: शक्ति, इच्छा, आत्मसम्मान, आत्मबल
  • संतुलन में: आत्मविश्वासी, साहसी, ऊर्जावान
  • असंतुलन में: हीन भावना, गुस्सा, पाचन समस्याएँ

मणिपूर चक्र आपकी इच्छाशक्ति, आत्मबल और उद्देश्यप्रेरणा का केंद्र है।

4. अनाहत (हृदय चक्र)

  • स्थान: छाती के मध्य
  • रंग: हरा
  • तत्व: वायु
  • पंखुड़ियाँ: 12
  • मंत्र: यम्
  • प्रतीक: छःभुज/हेक्साग्राम
  • मुख्य गुण: प्रेम, करुणा, क्षमा, संबंध
  • संतुलन में: दयालु, स्नेही, करुणामय
  • असंतुलन में: अकेलापन, कठोरता, क्षमा न कर पाना

यह चक्र प्रेम और दया का स्रोत है, जो निम्न और उच्च चक्रों को जोड़ता है।

5. विशुद्ध (कंठ चक्र)

  • स्थान: गला
  • रंग: नीला
  • तत्व: आकाश (ईथर)
  • पंखुड़ियाँ: 16
  • मंत्र: हम्
  • प्रतीक: वृत्त में त्रिकोण
  • मुख्य गुण: संचार, अभिव्यक्ति, सत्य
  • संतुलन में: स्पष्ट संवाद, अभिव्यक्तिशीलता
  • असंतुलन में: शर्म, बोलने में कठिनाई, गले की समस्या

विशुद्ध चक्र आपको अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने व सच्चाई से जीने की क्षमता देता है।

6. आज्ञा (तीसरी आँख चक्र)

  • स्थान: दोनों भौंहों के बीच (मस्तक)
  • रंग: नीला/बैंगनी
  • तत्व: प्रकाश
  • पंखुड़ियाँ: 2
  • मंत्र: ॐ (ओम्)
  • प्रतीक: दो पंखुड़ियां
  • मुख्य गुण: अंतर्दृष्टि, ज्ञान, मानसिक स्पष्टता
  • संतुलन में: कल्पनाशील, अंतर्ज्ञानी, स्पष्ट विचार
  • असंतुलन में: भ्रम, ध्यान की कमी, दुःस्वप्न

यह चक्र अंतरात्मा, अंतर्ज्ञान और स्पष्ट सोच का स्रोत है।

7. सहस्रार (शिखर चक्र)

  • स्थान: सिर का शीर्ष
  • रंग: बैंगनी या सफेद
  • तत्व: शुद्ध चेतना
  • पंखुड़ियाँ: 1,000
  • मंत्र: ओम् अथवा मौन
  • प्रतीक: 1,000 पंखुड़ियों वाला कमल
  • मुख्य गुण: आध्यात्मिकता, दिव्यता, एकता
  • संतुलन में: आनंद, जागरूकता, पारलौकिक अनुभव
  • असंतुलन में: आध्यात्मिक संकट, निराशा, उद्देश्यहीनता

सहस्रार चक्र केवल चेतना और ब्रह्म से एकत्व का द्वार है।


निष्कर्ष

कुंडलिनी और चक्र जागरण की यात्रा गहन और परिवर्तनकारी है। अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन लें और संतुलन के लिए शरीर, मन और आत्मा पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करें।

यह ई-बुक शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। चक्र या कुंडलिनी संबंधित मानसिक या शारीरिक समस्या हेतु विशेषज्ञ से संपर्क करें।

© 2025 [Gramin Farmer].

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