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Explain the meaning and scope of political theory

राजनीतिक सिद्धान्त का अर्थ एवं क्षेत्र की व्याख्या करें। 

सिद्धान्त' के अँगरेजी शब्द "theory" की उत्पत्ति यूनानी भाषा के "theoria" शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है

 समझने की दृष्टि अर्थात् चिन्तन के क्रम में उपलब्ध ऐसी मानसिक दृष्टि जो चिन्तन की वस्तु या विषय के अस्तित्व एवं कारणों को प्रकट करती है। इससे यह संकेत मिलता है कि हम चिन्तन की अवस्था में किसी वस्तु को मानसिक दृष्टि से भली प्रकार देखें और उसके अर्थ को ग्रहण कर लें। स्पष्ट है किसी वस्तु या विषय के मात्र वर्णन को ही सिद्धान्त विवेचन नहीं कहा जा सकता और न ही लक्ष्य नीति या मूल्यांकन प्रस्ताव सिद्धान्त होते हैं, बल्कि सिद्धान्त वे प्रस्थापनाएँ हैं जिनसे किसी वस्तु या विषय की व्याख्या करने का प्रयास किया जाता है। मीहान (Meehan) के शब्दों में, सिद्धान्त मूल रूप से एक विचारात्मक उपकरण है जिससे तथ्यों को सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध किया जाता है।

अतः राजनीति सिद्धान्त से अभिप्राय राजनीतिक व्यवस्था के उस सामान्य सिद्धान्त से है जो उनसे सम्बन्धित सभी तथ्यों, परिकल्पनाओं, सामान्यीकरण आदि की व्याख्या करता है।

राजनीतिक सिद्धान्त का क्षेत्र: राजनीति सिद्धान्त का विचार-क्षेत्र अध्ययन के केन्द्रीय विषय एवं उसकी अध्ययन पद्धति पर प्रकाश डालने से स्पष्ट होता है। राजनीति सिद्धान्त के विषय क्षेत्र को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत विवेचित किया जा सकता है

1. राजनीतिक प्रबन्ध के विभिन्न पक्षों का अध्ययन :राजनीति सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीतिक प्रबन्ध के भिन्न-भिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता है। राजनीतिक प्रबन्ध के अन्तर्गत समाज के सभी सदस्यों के लिए नियम बनाये जाते हैं और निर्णय लिये जाते हैं, सबके अधिकार, कर्तव्य और दायित्व निर्धारित किये जाते हैं और सार्वजनिक जीवन को उन्नत करने के उपाय किये जाते हैं। राजनीति सिद्धान्त की मुख्य समस्या यहजानना है कि सार्वजनिक जीवन को उन्नत करने की प्रक्रिया में किन नियमों का पालन होना चाहिए। मानव अपने जीवन और परिवेश को उन्नत करने के तरीके लगातार निकालता रहता है। इसके लिए समाज-प्रबन्ध का निर्माण होता है। चूँकि कोई भी समाज प्रबन्ध सर्वगुणसम्पन्न नहीं होता है इसलिए उसकी आलोचना शुरू हो जाती है और नये समाज प्रबन्ध के निर्माण के विचार पनपने लगते हैं जो राजनीति सिद्धान्त की परम्परा का निर्माण करते हैं।

2. राजनीति विज्ञान एवं राजनीति दर्शन के स्वरूप का अध्ययन : राजनीतिसिद्धान्त के दो मुख्य अंग हैं- राजनीति विज्ञान एवं राजनीति दर्शन। राजनीतिक सिद्धान्त के स्वरूप को समझने के लिए इन दोनों अंगों के स्वरूप का अध्ययन आवश्यक है। राजनीतिक दर्शन का मुख्य सम्बन्ध इस समस्या से है कि उत्कृष्ट जीवन उपलब्ध करने के लिए किस तरह का राजनीतिक संगठन उपयुक्त होगा? राजनीतिक सिद्धान्त उत्कृष्ट जीवन की परिभाषा तो नहीं देता, परन्तु राजनीतिक दर्शन के माध्यम से हमें उत्कृष्ट जीवन के बारे में मान्यताओं को परखने में सहायता अवश्य मिलती है।

3. अध्ययन पद्धतियों का चयन : राजनीति-सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीति जीवनकी विभिन्न अभिव्यक्तियों के अध्ययन के लिए उपयुक्त पद्धतियों का चयन और प्रयोग किया जाता है।

4. राज्य और शासन या सरकार का अध्ययन राजनीतिक सिद्धान्त का सम्बन्ध राज्य और शासन के अध्ययन से है।

5. सत्ता का अध्ययन: राजनीति सिद्धान्त का वास्ता न केवल राज्य और शासनया सरकार के अध्ययन से है, बल्कि यह सत्ता का भी अध्ययन है जिसके अन्तर्गत वे सभी गतिविधियाँ आ जाती हैं जिनका या तो 'सत्ता के लिए संघर्ष' से सम्बन्ध होता है या वे उसे प्रभावित करती हैं।

6. राजनीतिक अवधारणाएँ एवं विचार: राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन कायह केन्द्रीय विषय है। राजनीतिक अवधारणा में अवधारणा या विचारधारा से अभिप्राय विचारों के ऐसे समुच्चय से है जिन्हें लागू करने के लिए लोग न केवल संघर्ष करते हैं," बल्कि बड़ी-से-बड़ी कुर्बानी देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार राजनीतिक विचारधारा को राजनीतिक सिद्धान्त का अंग भाना जा सकता है।

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