उपयुक्त सीजन
- झारखंड में ऑयस्टर मशरूम की खेती करने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से फरवरी है क्योंकि इस दौरान तापमान और नमी की स्थिति मशरूम की वृद्धि के लिए अनुकूल रहती है।
- कुछ किसान अगस्त से मार्च/अप्रैल तक भी इसकी खेती करते हैं, लेकिन मुख्य सीजन ठंड के समय को माना जाता है।
- तापमान: 20°C–30°C
नमी: 60%–80%
यह दोनों परिस्थितियाँ मशरूम के विकास के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
खेती शुरू करने के लिए आवश्यकताएँ
स्थान: अंधेरा व ठंडा कमरा, जिसमें वेंटिलेशन हो और सीधी धूप न आए।
सामग्री: - धान या गेहूं का भूसा (पुआल)
- मशरूम स्पॉन (बीज)
- पॉलीथिन बैग या टब
- फॉर्मलीन या नीम तेल (साफ-सफाई के लिए)
- पानी[4]
प्रमुख कदम
1. भूसे/फसल अवशेष की तैयारी
- पुआल को 2–3 सेमी टुकड़ों में काट लें।
- इसे गर्म पानी में 6–12 घंटे तक भिगो दें ताकि सभी फफूंद या हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाएँ।
- पानी निकालें और सूखने दें, जब तक उसमें लगभग 70–75% नमी न रह जाए[5][6]।
2. स्पॉनिंग (बीज लगाने की प्रक्रिया)
- पॉलीथिन बैग (4–5 किलो क्षमता) लें।
- उसमें एक परत पुआल डालें, फिर ऊपर से बीज (स्पॉन) की एक पतली परत डालें।
- इसी तरह परत दर परत दोनों सामग्री डालते जाएं।
- बैग को रबर बैंड से कसकर बंद कर दें।
- बैग के चारों ओर 10–15 छोटे छेद (5–6 mm) कर दें ताकि नमी व वायु का संतुलन बना रहे।
3. इनक्यूबेशन (वृद्धि हेतु रख-रखाव)
- बैग्स को एक अंधेरे, नमी वाले कमरे में लटकाएं या शेल्फ पर रखें।
- तापमान 20–30°C और नमी 80–85% रखें। ज्यादा गर्मी हो तो छिड़काव करें।
- 20–25 दिन में पूरा पुआल सफेद फफूंद (मायसीलियम) से ढक जाता है
4. फ्रूटिंग और हार्वेस्टिंग (फसल निकालना)
- कुछ दिन बाद छोटे–छोटे मशरूम निकलने लगेंगे।
- 30–35 दिन में पहली कटिंग तैयार हो जाती है।
- पहली कटाई के बाद हर 6–8 दिन के अंतराल पर दूसरी और तीसरी कटाई करी जा सकती है (हर स्टेप पर नमी का ध्यान रखें)
5. रख-रखाव एवं सावधानियाँ
- सामान्य सफाई बना कर रखें, बीज पुराना न हो (30 दिन से पुराना स्पॉन नहीं लगाएं)।
- तापमान, नमी और रोशनी का खास ध्यान रखें।
- जब बोरियों पर हरा/काला फंगस दिखे तो तुरंत निकाल दें।
- बैग्स को 5–6 घंटे हल्की रोशनी में रखें, लिए ट्यूब लाइट/बल्ब का प्रयोग हो सकता है
उत्पादन/मुनाफा
- 1 किलो बीज से 10–12 किलो तक ऑयस्टर मशरूम उत्पादन संभव है[3]।
- स्थानीय बाजार में 120–150 रुपये/किलो तक बिक्री की जाती है
- अतिरिक्त आय के लिए मशरूम को सुखाकर या अचार, पाउडर व अन्य रूप में भी बेचा जा सकता है[8]।
झारखंड में प्रचारित किस्में एवं प्रशिक्षण
- “सरोवल आजीविका महिला मशरूम उत्पादक संघ” जैसे समुह उन्नत खेती कर रहे हैं
- ICAR, FSRCHPR Ranchi, कृषि विज्ञान केंद्र व कई अन्य संस्थान नियमित प्रशिक्षण देते हैं
संक्षिप्त टिप्स:
-ऑयस्टर मशरूम की खेती झारखंड के किसानों के लिए कम लागत में लाभकारी व्यवसाय है।
- धान का पुआल, सरल संसाधन और सही प्रशिक्षण के साथ कोई भी किसान यह व्यवसाय शुरू कर सकता है।
नोट:
किसी भी नई खेती की शुरुआत से पहले स्थानीय कृषि विभाग/प्रशिक्षण केंद्र की सहायता और मार्गदर्शन अवश्य लें
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