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7 March ko konsa divas hai

7 मार्च को कौन-सा दिवस मनाया जाता है
7 मार्च को विभिन्न देशों और समुदायों में कई प्रकार के दिवस मनाए जाते हैं, लेकिन भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रमुख रूप से इस दिन राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता दिवस (National Eye Donation Awareness Day) और कई बार विश्व नागरिक दिवस (World Civil Day) जैसे दिवसों का आयोजन होता है। हालांकि यह दिन हर वर्ष के लिए अलग-अलग महत्व रख सकता है, यहां हम विशेष रूप से भारत में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता दिवस को केंद्र में रखते हुए इसकी पूरी जानकारी देंगे।

राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता दिवस – 7 मार्च
भारत में 7 मार्च को राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य समाज में नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है ताकि दृष्टिहीन लोगों को रोशनी की सौगात दी जा सके।

पृष्ठभूमि:

भारत में नेत्रदान को लेकर जागरूकता बहुत कम है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लाखों लोग नेत्रों की बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण दृष्टिहीन हो जाते हैं। इनमें से एक बहुत बड़ा हिस्सा वे लोग होते हैं जिन्हें कॉर्निया (नेत्र का पारदर्शी हिस्सा) खराब होने के कारण दिखना बंद हो जाता है। यदि समय पर नेत्रदान हो, तो इनकी रोशनी वापस लाई जा सकती है।

7 मार्च को नेत्रदान जागरूकता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं और समाज में एक नई रोशनी की शुरुआत करें।

नेत्रदान का महत्व:
नेत्रदान का मतलब होता है मृत्यु के बाद अपनी आंखें (विशेषकर कॉर्निया) दान करना, जिससे किसी दृष्टिहीन व्यक्ति को रोशनी दी जा सके। नेत्रदान एक महान मानवीय कार्य है, जो किसी की जिंदगी को अंधेरे से निकालकर उजाले की ओर ले जा सकता है।

भारत में लाखों लोग कॉर्निया की समस्याओं के कारण दृष्टिहीन हैं। एक नेत्रदाता की आंखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिल सकती है। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि नेत्रदान “दृष्टि का उपहार” है।

नेत्रदान की प्रक्रिया:

नेत्रदान एक सरल प्रक्रिया है। इसमें मृत्यु के 6 घंटे के भीतर नेत्र (विशेष रूप से कॉर्निया) को निकाल लिया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और बिना किसी शरीर के अपमान के होती है।

मृत्यु के बाद: परिवार को तुरंत नेत्र बैंक से संपर्क करना चाहिए।

कॉर्निया निकाला जाता है: डॉक्टर या प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा।

रोगी का सम्मान बना रहता है: नेत्र निकालने के बाद चेहरा वैसा ही रहता है, कोई विकृति नहीं होती।

नेत्र बैंक में संग्रह: जहां जांच के बाद कॉर्निया किसी जरूरतमंद को प्रत्यारोपित किया जाता है।

कौन कर सकता है नेत्रदान

1 से 100 वर्ष तक का कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।

जिन लोगों को चश्मा लगा है, वे भी नेत्रदान कर सकते हैं।

कुछ बीमारियों (जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर) वाले लोग भी योग्य होते हैं।

केवल संक्रामक रोग जैसे HIV, हेपेटाइटिस आदि वाले लोग नेत्रदान नहीं कर सकते।

नेत्रदान से जुड़े मिथक और भ्रांतियां :

भारत में आज भी नेत्रदान को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं प्रचलित हैं, जैसे कि:

मृत्यु के बाद नेत्र निकालने से शरीर अपवित्र हो जाएगा।

नेत्रदान करने से पुनर्जन्म में कोई दोष लगेगा।

नेत्र निकालने से चेहरा बिगड़ जाएगा।

इन सभी भ्रांतियों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सरकार और कई स्वयंसेवी संस्थाएं इन मिथकों को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

सरकारी और सामाजिक प्रयास:
भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं:

नेत्र बैंक स्थापित किए गए हैं।

मुफ्त नेत्र प्रत्यारोपण योजनाएं चलाई जा रही हैं।

जनजागरूकता रैलियां, पोस्टर, सोशल मीडिया अभियान चलाए जा रहे हैं।

स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में नेत्रदान प्रतिज्ञा अभियान चलाए जाते हैं।

आप क्या कर सकते हैं?

नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन करें।

परिवार को बताएं कि आप नेत्रदान करना चाहते हैं।

सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं।

नेत्रदान से जुड़े किसी NGO के साथ जुड़कर काम करें।

निष्कर्ष:

7 मार्च को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता दिवस सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। यह दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी मृत्यु के बाद किसी को जीवन में रोशनी दे सकते हैं? और इसका उत्तर है – हां, बिल्कुल दे सकते हैं।

नेत्रदान एक ऐसा उपहार है, जो मृत्यु के बाद भी किसी को जीवन का उजाला दे सकता है। अगर हम सभी मिलकर इस प्रयास में सहभागी बनें, तो कोई कारण नहीं कि भारत में कोई भी व्यक्ति अंधकार में जीने को मजबूर हो।

इस 7 मार्च को आइए, हम सभी संकल्प लें – "मृत्यु के बाद भी किसी की आंखें बनें!" 🌟



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