पैटर्न की संरचना
पहली कैंडल (बुलिश/तेजी वाली): लंबी हरी या सफेद कैंडल होती है, जो मार्केट में खरीदारों की मजबूती दिखाती है।
दूसरी कैंडल (स्टार/अनिर्णय वाली): छोटी बॉडी वाली कैंडल होती है, जो ऊपर की ओर गैप अप हो सकती है, यह ऊँचाई या असमंजस दिखाती है।
तीसरी कैंडल (बियरिश/मंदी वाली): बड़ी लाल या काली कैंडल होती है, जो बिकवाली की शक्ति और रिवर्सल को दर्शाती है। इसकी क्लोजिंग, पहली कैंडल के बॉडी के आधे से नीचे होनी चाहिए।
साइकोलॉजी और पहचान
अपट्रेंड के बाद बनता है, यानी जब बाजार तेजी में हो।
पहली कैंडल खरीदारों की आत्मविश्वास झलकाती है।
दूसरी कैंडल खरीद-बिक्री के बीच संतुलन या अनिश्चितता बताती है।
तीसरी कैंडल में बिकवाली का दबाव और ट्रेंड का उलटाव दिखता है.
ट्रेडिंग में उपयोग
इस पैटर्न को देखकर ट्रेडर्स अपनी लंबी पोजिशन बंद करते या शॉर्ट पोजिशन लेने की तैयारी करते हैं।
वॉल्यूम एनालिसिस, आरएसआई जैसे तकनीकी संकेतकों के साथ पुष्टि करने की सलाह दी जाती है।
उच्च टाइमफ्रेम जैसे डेली या वीकली चार्ट पर पैटर्न अधिक विश्वसनीय होता है।
प्रमुख प्रतिरोध स्तरों के पास बनता है तो इसका असर और मजबूत होता है.
स्टॉप लॉस और टार्गेट
स्टॉप लॉस आमतौर पर स्टार कैंडल या पहली कैंडल के हाई के ऊपर लगाया जाता है।
टार्गेट डाउनट्रेंड या सपोर्ट स्तर के अनुसार सेट किया जा सकता है.
सीमाएँ और सावधानियाँ
पैटर्न की पुष्टि अन्य इंडिकेटर्स से करना जरूरी है।
हमेशा सपोर्ट-रेजिस्टेंस, वॉल्यूम और मार्केट सेंटिमेंट पर ध्यान दें।
यह पैटर्न एकदम परफेक्ट ट्रेडिंग सिग्नल नहीं है, रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है.
इवनिंग स्टार पैटर्न का सही पहचान और उपयोग ट्रेडिंग रणनीति में काफी लाभदायक हो सकता है।
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