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What is soham vidya

सोहम विद्या क्या है


"सोऽहम्" (Soham) एक संस्कृत मंत्र है, जिसका अर्थ होता है  "वह मैं हूँ" या "मैं वही हूँ"। यह वैदिक और तांत्रिक परंपरा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण आत्मज्ञानात्मक मंत्र है। सोहम विद्या आत्मा और परमात्मा की एकता का बोध कराती है। यह अद्वैत वेदांत और ध्यान योग का एक प्रमुख अंग है।



🔹 "सोऽहम्" का शाब्दिक अर्थ:


"सः" (Sah) = वह (ईश्वर, ब्रह्म, परमात्मा)


"अहम्" (Aham) = मैं


संयुक्त रूप: सोऽहम् = "मैं वही हूँ" (जो परमात्मा है)



यह मंत्र हमें यह स्मरण कराता है कि आत्मा और परमात्मा अलग नहीं हैं।



🔹 सोहम विद्या का महत्व:


1. आत्मबोध की प्रक्रिया: यह ज्ञान यह सिखाता है कि व्यक्ति का वास्तविक स्वरूप शरीर या मन नहीं, बल्कि शुद्ध चेतना (आत्मा) है, जो परम चेतना (ब्रह्म) के समान है।



2. अद्वैत (Advaita) दर्शन: यह विद्या अद्वैत वेदांत पर आधारित है, जो कहता है कि "अहं ब्रह्मास्मि" — मैं ही ब्रह्म हूँ।



3. ध्यान एवं प्राणायाम में प्रयोग: सोहम मंत्र को श्वास-प्रश्वास (inhalation-exhalation) के साथ जपने का अभ्यास ध्यान में किया जाता है, जिससे आत्म-चेतना जागृत होती है।




🔹 सोहम मंत्र का ध्यान में प्रयोग:


ध्यान के समय सोहम मंत्र का उपयोग अत्यंत प्रभावी माना जाता है।


अभ्यास विधि:


1. शांत स्थान पर बैठें (सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन में)।



2. आंखें बंद करें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।



3. श्वास अंदर लेते समय मन ही मन कहें: "सो..."



4. श्वास छोड़ते समय कहें: "हम..."



5. इस अभ्यास को प्रतिदिन 10-30 मिनट तक करें।




यह अभ्यास आत्मा से जुड़ने, मन की शांति, और ध्यान की गहराई प्राप्त करने में सहायक होता है।



🔹 सोहम विद्या और कुंडलिनी योग:


कुछ तांत्रिक योग परंपराओं में सोहम मंत्र का प्रयोग कुंडलिनी जागरण के लिए किया जाता है। जब साधक इस मंत्र को सांस के साथ निरंतर करता है, तो यह प्राणशक्ति को जागृत कर सकता है, जिससे चक्रों का शुद्धिकरण होता है और अंततः समाधि की अवस्था प्राप्त होती है।




🔹 सोहम विद्या से लाभ:


मन की एकाग्रता में वृद्धि


तनाव और चिंता से मुक्ति


आत्म-ज्ञान की अनुभूति


जीवन में संतुलन और आंतरिक शांति


भौतिक व आत्मिक जीवन में समरसता




🔹 सोहम मंत्र के अन्य नाम:


अजपा जप: क्योंकि यह बिना बोले जपा जाता है, इसलिए इसे अजपा (अ+जपा = बिना बोले जप) कहा गया है।


हंसा मंत्र: जब उल्टा उच्चारण किया जाए — "हं-सः", तब इसे हंसा मंत्र कहा जाता है।



🔹 ग्रंथों में उल्लेख:


उपनिषदों में, विशेष रूप से ईशावास्य उपनिषद, बृहदारण्यक, और श्वेताश्वतर उपनिषद में "सोऽहम्" विचारधारा पाई जाती है।


कई संतों ने, जैसे कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी शिवानंद, और योगानंद, ने इसका उपयोग ध्यान के लिए किया।




🔚 निष्कर्ष:


सोहम विद्या केवल एक मंत्र या तकनीक नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक अनुभूति का मार्ग है। यह साधक को स्वयं के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराता है — जहां अहंकार समाप्त होता है और ब्रह्म का अनुभव होता है। यह एक अत्यंत सरल लेकिन प्रभावशाली साधना है जो किसी भी व्यक्ति को आध्यात्मिक जागृति की ओर ले जा सकती है।



🧘‍♀️ सोहम ध्यान – गाइडेड मेडिटेशन  (10–15 मिनट) कैसे करे 


स्थान: शांत और स्वच्छ वातावरण में बैठ जाएँ। मोबाइल बंद कर दें। मुद्रा: सुखासन, पद्मासन या कुर्सी पर पीठ सीधी रखते हुए बैठें। आंखें: धीरे-धीरे बंद कर लें। सांस: स्वाभाविक और सहज।


🌬️ आरंभ (1-2 मिनट)

"अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए... सिर से लेकर पैरों तक का सारा तनाव छोड़ दें... कंधे, गर्दन, आंखें, जबड़ा, पीठ – सबको शांत कर लें...

अब अपने मन को शरीर से हटाकर, साँसों की ओर ले जाएँ। सिर्फ साँसों को देखना है, उन्हें नियंत्रित नहीं करना। साँस आ रही है… जा रही है… बस ध्यान उसी पर है।"


🕉️ सोहम मंत्र ध्यान (8–10 मिनट)

"अब जब आप साँस अंदर ले रहे हैं, तो अपने मन में मंत्र बोलें: 'सो…'

और जब आप साँस बाहर छोड़ रहे हैं, तो अपने मन में बोलें: 'हम…'

श्वास अंदर: सो… श्वास बाहर: हम…

'सो... हम...' 'सो... हम...' प्रत्येक सांस के साथ यह मंत्र आपके भीतर गूंज रहा है…

यह मंत्र आपको स्मरण दिलाता है: "मैं वही हूँ — जो शाश्वत है, जो दिव्य है, जो परमात्मा है।"

अब कोई विचार आए, तो उसे जाने दें… वापस साँस पर लौटें… 'सो... हम...'

[यह चक्र 10 मिनट तक दोहराएँ या टाइमर लगा लें]


🌟 समापन (2 मिनट)

"अब मंत्र को धीरे-धीरे छोड़ें… फिर से केवल सांसों पर ध्यान दें… साँस को महसूस करें, जैसे वह शरीर में प्रवाहित हो रही है।

अब अपने शरीर के प्रति चेतन हो जाएँ… अपने हाथ-पैर, पीठ, चेहरे को महसूस करें… धीरे-धीरे आँखें खोलें… शांति से बैठें… मुस्कराएँ… और धन्यवाद करें उस दिव्य शक्ति को।"


✅ सुझाव:

रोज सुबह या रात को 10-15 मिनट इस ध्यान का अभ्यास करें।

धीरे-धीरे अवधि बढ़ा सकते हैं।

चाहें तो बैकग्राउंड में धीमा म्यूजिक या तानपुरा ध्वनि चला सकते हैं।


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