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what is tratak sadhna

त्राटक साधना क्या है

त्राटक (Tratak) एक प्राचीन योगिक साधना है, जिसमें किसी एक वस्तु पर बिना पलक झपकाए एकटक देखा जाता है। यह ध्यान और नेत्रों की शक्ति बढ़ाने के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह हठयोग की षट्कर्म विधियों में से एक है।



🔷 त्राटक साधना क्या है?

त्राटक का शाब्दिक अर्थ है – "टकटकी लगाकर देखना।"
यह एक ध्यान व नेत्रों की एकाग्रता की तकनीक है, जिसमें साधक किसी एक बिंदु, वस्तु, ज्योति (दीपक), या अपने भीतर की कल्पना (जैसे चंद्रमा, गुरू, देवी आदि) पर एकटक दृष्टि जमाता है।



🔷 त्राटक के प्रकार:

त्राटक कई प्रकार का होता है। मुख्य रूप से इसे दो श्रेणियों में बांटा जाता है:

1. बाह्य त्राटक (External Tratak)

साधक किसी बाहरी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करता है:

दीपक की लौ (ज्योति त्राटक)

काला बिंदु या सफेद बिंदु

ओम का चिन्ह

चंद्रमा / सूर्य

किसी गुरु का चित्र


2. आंतरिक त्राटक (Internal Tratak)

साधक अपनी आंखें बंद करके किसी वस्तु की कल्पना करता है – जैसे:

गुरु का ध्यान

तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर ध्यान

किसी रंग, आकृति या ऊर्जा की कल्पना



🔷 त्राटक साधना कैसे करें? (Step-by-Step विधि)

तैयारी:

एक शांत स्थान चुनें

एक दीपक या बिंदु को आँखों के स्तर पर रखें (लगभग 3-4 फीट दूरी)

रीढ़ सीधी रखें, पीठ, गर्दन, सिर एक सीध में


प्रक्रिया:

1. शांत होकर बैठें: पद्मासन, सुखासन या कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।


2. वस्तु पर एकटक देखें: दीपक की लौ या किसी बिंदु को बिना पलक झपकाए देखें।


3. नेत्रों से जल आना: जब आंखें थक जाएं या पानी आने लगे, तब आंखें बंद कर लें।


4. आंतरिक त्राटक करें: अब उसी वस्तु की कल्पना बंद आंखों से करें।


5. 3-5 चक्र करें: इसे 10-15 मिनट तक दोहराएं।



🔷 त्राटक के लाभ (Benefits of Tratak Sadhana)

✅ एकाग्रता और फोकस बढ़ता है
✅ नेत्रों की रोशनी (दृष्टि) तेज होती है
✅ स्मरण शक्ति और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है
✅ नींद में सुधार होता है (insomnia में लाभकारी)
✅ तृतीय नेत्र (Third Eye) जागरण में सहायक
✅ तनाव, चिंता, और अवसाद में राहत
✅ अंतर्दृष्टि (Intuition) विकसित होती है



🔷 सावधानियां (Precautions)

⚠️ शुरुआत में अधिक देर तक न करें (5-10 मिनट से प्रारंभ करें)
⚠️ आंखों में जलन या दर्द हो तो विश्राम लें
⚠️ चश्मा पहनकर त्राटक न करें
⚠️ हृदय रोगी या मानसिक रोगी डॉक्टर या गुरु की देखरेख में करें
⚠️ त्राटक के बाद ठंडे पानी से आंखें धो लें



🔷 त्राटक का सर्वोत्तम समय

सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे)

रात को सोने से पहले
(दोनों समय शांत वातावरण होता है और मन भी स्थिर रहता है)



🔷 त्राटक के साथ जुड़ी आध्यात्मिक मान्यता

योग शास्त्रों में कहा गया है कि त्राटक से तीसरा नेत्र (अज्ञा चक्र) जागृत होता है। यह साधना मानसिक शक्तियों (psychic powers) और अंतर्ज्ञान (intuition) को भी सक्रिय करती है। कई साधक इसे ध्यान (Meditation) में प्रवेश का द्वार मानते हैं।



🔷 त्राटक साधना के लिए प्रेरणास्पद श्लोक

> “त्राटकं निर्मलं तत्त्वं यत्स्थूलं तत्त्वदर्शिनाम्।”
– योग शास्त्र
(अर्थ: त्राटक से स्थूल दृश्य में भी परम तत्व को देखा जा सकता है।)

7-दिन की त्राटक साधना अभ्यास तालिका

(समय: प्रतिदिन 10-20 मिनट | स्थान: शांत, अंधकारमय कमरा)

दिन साधना का प्रकार समयावधि फोकस बिंदु लक्ष्य

दिन 1 बाह्य त्राटक 5-7 मिनट दीपक की लौ (Jyoti) आँखों को स्थिर रखना, जलन होने पर विश्राम
दिन 2 बाह्य त्राटक + आंतरिक त्राटक 5 + 3 मिनट दीपक की लौ → फिर उसकी कल्पना आंखें बंद करके लौ को भीतर देखना
दिन 3 बाह्य त्राटक 7-10 मिनट काले बिंदु या "ॐ" चिह्न ध्यान की गहराई में जाना
दिन 4 आंतरिक त्राटक (बंद आंखों से) 10 मिनट गुरु या लौ की छवि कल्पना को स्थिर करना
दिन 5 बाह्य + आंतरिक त्राटक 7 + 5 मिनट दीपक / ओम / बिंदु पलकें कम झपकें, अंतर्दृष्टि बढ़ाना
दिन 6 त्राटक + श्वास ध्यान 10 मिनट दीपक → श्वास पर ध्यान मन को पूर्णतः शांत करना
दिन 7 पूर्ण अभ्यास (समीक्षा सहित) 15-20 मिनट कोई भी पूर्व अभ्यास अनुभव लिखें, एकाग्रता की प्रगति आँकें




✅ अभ्यास के साथ सहायक टिप्स:

हर दिन अभ्यास के बाद 2-3 मिनट विश्राम करें।

अभ्यास के बाद एक डायरी/नोटबुक में अनुभव लिखें:

क्या देखा?
क्या कठिन लगा?
मन कितना भटका?
कितनी देर तक पलकें खुली रहीं?


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