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4 january ko konsa divas hai

विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day)

हर साल 4 जनवरी को दुनिया भर में "विश्व ब्रेल दिवस" (World Braille Day) मनाया जाता है। यह दिन दृष्टिबाधित (नेत्रहीन) लोगों के अधिकारों, शिक्षा, और समावेशी समाज की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्होंने दृष्टिहीन लोगों को पढ़ने और लिखने में सक्षम बनाने वाली एक क्रांतिकारी पद्धति विकसित की थी।

यह लेख आपको बताएगा कि ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है, इसका इतिहास क्या है, लुई ब्रेल कौन थे, और यह दिवस समाज के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।


ब्रेल दिवस का उद्देश्य
विश्व ब्रेल दिवस का मुख्य उद्देश्य है:

दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

ब्रेल लिपि की महत्ता को समझाना।

समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना।

समाज में दृष्टिबाधित लोगों की भागीदारी और स्वतंत्रता को समर्थन देना।


लुई ब्रेल कौन थे?

लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कूपव्रे नामक स्थान पर हुआ था। वे एक सामान्य बालक थे, लेकिन मात्र 3 वर्ष की उम्र में एक दुर्घटना के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। 10 वर्ष की उम्र में उन्हें पेरिस के एक विशेष विद्यालय में दाखिला मिला, जहां उन्होंने देखा कि नेत्रहीनों के लिए पढ़ाई बेहद कठिन थी।

1819 में ब्रेल ने चार्ल्स बार्बियर द्वारा बनाई गई "नाइट राइटिंग" नामक एक संचार पद्धति का अध्ययन किया। यह पद्धति सैनिकों के लिए बनाई गई थी ताकि वे अंधेरे में पढ़ सकें। ब्रेल ने इस प्रणाली को सरल बनाया और 1824 में मात्र 15 वर्ष की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया।


ब्रेल लिपि क्या है?

ब्रेल लिपि (Braille Script) एक स्पर्श-संवेदनशील लेखन प्रणाली है, जो दृष्टिहीन लोगों को पढ़ने और लिखने में सहायता करती है। इसमें उभरे हुए बिंदुओं (raised dots) का प्रयोग होता है। एक ब्रेल सेल में 6 बिंदु होते हैं, जिन्हें विभिन्न संयोजनों में व्यवस्थित कर अक्षर, संख्या और विराम चिह्न बनाए जाते हैं।

ब्रेल लिपि को छूकर पढ़ा जाता है, जिससे दृष्टिहीन व्यक्ति जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रणाली आज लगभग सभी भाषाओं में उपलब्ध है और इसे शिक्षा, रोजगार और दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाता है।

विश्व ब्रेल दिवस की शुरुआत कब हुई?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2018 में ब्रेल लिपि के महत्व को स्वीकार करते हुए 4 जनवरी को "विश्व ब्रेल दिवस" के रूप में घोषित किया। पहली बार यह दिवस 4 जनवरी 2019 को आधिकारिक रूप से मनाया गया।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ब्रेल लिपि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को जानकारी तक समान पहुंच प्रदान करती है, जिससे वे स्वतंत्र जीवन जी सकते हैं और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

दृष्टिबाधित लोगों की स्थिति और चुनौतियां

दुनिया भर में लाखों लोग दृष्टिबाधित या नेत्रहीन हैं। भारत में भी लगभग 1.2 करोड़ से अधिक दृष्टिबाधित लोग हैं। इनमें से बहुत से लोग शिक्षा, रोजगार और सामाजिक अवसरों से वंचित हैं। इसके प्रमुख कारण हैं:

ब्रेल सामग्री की कमी

जागरूकता का अभाव

विशेष शिक्षा संस्थानों की सीमित संख्या

तकनीकी संसाधनों की अनुपलब्धता

ब्रेल दिवस का उद्देश्य इन समस्याओं को सामने लाना और उनके समाधान की दिशा में कार्य करना है।


इस दिन क्या किया जाता है?

विश्व ब्रेल दिवस के अवसर पर विभिन्न संस्थाएं, स्कूल, पुस्तकालय और सरकारें कई तरह के आयोजन करती हैं:

ब्रेल में किताबों और साहित्य के वितरण कार्यक्रम

नेत्रहीन छात्रों के लिए विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण सत्र

समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार, भाषण और कार्यशालाएं

रेडियो और टीवी कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरूकता

इस दिन को मनाकर यह संदेश दिया जाता है कि दृष्टिबाधित लोग भी समान अधिकारों के अधिकारी हैं और उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए।

तकनीक और ब्रेल का भविष्य
आज तकनीक के माध्यम से ब्रेल और अधिक सुलभ होता जा रहा है। कई डिजिटल ब्रेल रीडर, ब्रेल कीबोर्ड, और ब्रेल ई-बुक्स उपलब्ध हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकें दृष्टिबाधितों के लिए नई संभावनाएं खोल रही हैं। इसके बावजूद अब भी बहुत से लोगों को इन सुविधाओं की जानकारी नहीं है या वे इन तक पहुंच नहीं बना पा रहे हैं।

निष्कर्ष

4 जनवरी — विश्व ब्रेल दिवस केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह समाज में दृष्टिहीन लोगों के अधिकारों, सम्मान और अवसरों की लड़ाई का प्रतिनिधित्व करता है। लुई ब्रेल ने जिस लिपि की शुरुआत की, वह आज करोड़ों लोगों की आवाज और आंख बन चुकी है। हमें इस दिन यह संकल्प लेना चाहिए कि हम दृष्टिबाधितों को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि समानता और अवसर देंगे।

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