Ticker

6/recent/ticker-posts

Ashtanga yog kya hai

अष्टांग योग (Ashtanga Yoga) योग का एक प्राचीन मार्ग है जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रों में वर्णित किया है। "अष्टांग" का अर्थ होता है "आठ अंग" या "आठ चरण"। ये आठ अंग व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की ओर ले जाने वाले साधन हैं।
अष्टांग योग के आठ अंग:

1. यम (Yama) – सामाजिक आचरण के नियम:

अहिंसा (Ahimsa) – किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना

सत्य (Satya) – सच्चाई बोलना और उसका पालन करना

अस्तेय (Asteya) – चोरी न करना

ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) – इंद्रियों पर संयम

अपरिग्रह (Aparigraha) – गैर-जरूरी वस्तुओं का संग्रह न करना


2. नियम (Niyama) – व्यक्तिगत अनुशासन:

शौच (Shaucha) – शरीर और मन की पवित्रता

संतोष (Santosha) – संतुष्ट रहना

तप (Tapa) – आत्मसंयम और कठिनाइयों को सहना

स्वाध्याय (Svadhyaya) – आत्म-अध्ययन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन

ईश्वरप्रणिधान (Ishwar Pranidhana) – ईश्वर में समर्पण


3. आसन (Asana) – स्थिर और आरामदायक शारीरिक मुद्रा

4. प्राणायाम (Pranayama) – श्वास नियंत्रण और ऊर्जा का संचालन

5. प्रत्याहार (Pratyahara) – इंद्रियों को बाह्य वस्तुओं से हटाना

6. धारणा (Dharana) – एकाग्रता, मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना

7. ध्यान (Dhyana) – ध्यान की अवस्था, निरंतर ध्यान प्रवाह

8. समाधि (Samadhi) – आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना, पूर्ण तल्लीनता


निष्कर्ष:

अष्टांग योग केवल योगासन नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण जीवन शैली है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के लिए आवश्यक है। यह आत्म-साक्षात्कार की दिशा में एक क्रमिक यात्रा है।


Post a Comment

0 Comments