अष्टांग योग के आठ अंग:
1. यम (Yama) – सामाजिक आचरण के नियम:
अहिंसा (Ahimsa) – किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना
सत्य (Satya) – सच्चाई बोलना और उसका पालन करना
अस्तेय (Asteya) – चोरी न करना
ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) – इंद्रियों पर संयम
अपरिग्रह (Aparigraha) – गैर-जरूरी वस्तुओं का संग्रह न करना
2. नियम (Niyama) – व्यक्तिगत अनुशासन:
शौच (Shaucha) – शरीर और मन की पवित्रता
संतोष (Santosha) – संतुष्ट रहना
तप (Tapa) – आत्मसंयम और कठिनाइयों को सहना
स्वाध्याय (Svadhyaya) – आत्म-अध्ययन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन
ईश्वरप्रणिधान (Ishwar Pranidhana) – ईश्वर में समर्पण
3. आसन (Asana) – स्थिर और आरामदायक शारीरिक मुद्रा
4. प्राणायाम (Pranayama) – श्वास नियंत्रण और ऊर्जा का संचालन
5. प्रत्याहार (Pratyahara) – इंद्रियों को बाह्य वस्तुओं से हटाना
6. धारणा (Dharana) – एकाग्रता, मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना
7. ध्यान (Dhyana) – ध्यान की अवस्था, निरंतर ध्यान प्रवाह
8. समाधि (Samadhi) – आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना, पूर्ण तल्लीनता
निष्कर्ष:
अष्टांग योग केवल योगासन नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण जीवन शैली है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के लिए आवश्यक है। यह आत्म-साक्षात्कार की दिशा में एक क्रमिक यात्रा है।
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