सपोर्ट क्या है? (Support Meaning)
सपोर्ट लेवल वह कीमत होती है जहां स्टॉक की मांग खरीददारों की ओर से इतनी बढ़ जाती है कि कीमत वहां से गिरना बंद कर देती है और वापस ऊपर जाने लगती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी स्टॉक की कीमत बार-बार 90 रुपये पर आकर रुकती है और वहां से ऊपर जाती है, तो 90 रुपये उस स्टॉक का सपोर्ट लेवल होगा।
सपोर्ट लेवल पर विक्रेता कम होते हैं और खरीदार ज्यादा होते हैं, जिससे बिक्री दबाव कम होता है और स्टॉक की कीमत ऊपर बढ़ती है।
सपोर्ट कैसे काम करता है?
जब कीमत सपोर्ट लेवल तक गिरती है तो निवेशकों और ट्रेडर्स को खरीदने का भरोसा होता है कि अब कीमत फिर से बढ़ेगी, इसलिए वे खरीदारी करते हैं।
इससे मांग में वृद्धि होती है, जो कीमत को ऊपर धकेलती है।
अगर सपोर्ट लेवल टूट जाता है, तो कीमत और नीचे गिर सकती है और नया सपोर्ट तलाशा जाता है।
सपोर्ट की पहचान कैसे करें?
सपोर्ट लेवल ज्यादातर पिछले चार्ट में उन स्तरों पर बनता है जहां कीमत ने कई बार नीचे गिरने के बाद रुकावट दिखाई हो और वापस ऊपर गई हो।
ट्रेंडलाइन, मूविंग एवरेज, और फिबोनैची लेवल जैसे तकनीकी टूल्स का उपयोग करके सपोर्ट लेवल की पहचान की जाती है।
सपोर्ट के प्रकार
माइनर सपोर्ट: जब कीमत एक सपोर्ट लेवल पर एक बार ऊपर जाती है, जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है।
मेेजर सपोर्ट: जब कीमत कई बार एक सपोर्ट लेवल पर रुकती है और वापस ऊपर जाती है, जिसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता।
सारांश
सपोर्ट एक महत्वपूर्ण तकनीकी स्तर होता है जो निवेशकों को यह संकेत देता है कि उस स्तर पर खरीदारी बढ़ेगी और कीमत नीचे गिरने से रुकेगी। यह निवेश और ट्रेडिंग में एंट्री पॉइंट के रूप में काम करता है।
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं या निवेश करते हैं, तो सपोर्ट और रेजिस्टेंस (मूल्य रुकावट स्तर) को समझना और पहचानना आवश्यक होता है ताकि आप सही समय पर खरीद और बिक्री कर सकें।
यह अवधारणा आपको बाजार की चाल को बेहतर समझने और जोखिम कम करने में मदद करती है।
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