अपट्रेंड (ऊपर की दिशा में ट्रेंड):
जब प्राइस चार्ट में जो उच्च स्तर (highs) बन रहे हों वे पहले से उच्च हों (higher highs) और निचले स्तर (lows) भी पहले से ऊंचे हों (higher lows)।
यानी स्टॉक की कीमत धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रही हो।
इस स्थिति में मार्केट का मूड पॉजिटिव होता है और लोग खरीदारी करने को तैयार रहते हैं।
ट्रेंडलाइन (trendline) बनाने पर यह लाइन ऊपर की ओर चढ़ती है।
डाउनट्रेंड (नीचे की दिशा में ट्रेंड):
जब प्राइस चार्ट पर निम्न स्तर (lows) और उच्च स्तर (highs) दोनों लगातार नीचे जा रहे हों (lower lows और lower highs)।
मतलब कीमत घट रही हो।
इस स्थिति में मार्केट सक्रीय रूप से गिरावट में रहता है और विक्रेता ज़्यादा होते हैं।
ट्रेंडलाइन नीचे की ओर ढलान दिखाती है।
ट्रेंड की पहचान के आसान तरीके:
प्राइस मूवमेंट्स देखें: उच्चतम और निम्नतम कीमतों के पैटर्न पर ध्यान दें।
ट्रेंडलाइन खींचें: ऐसे निचले बिंदुओं को मिलाएं जो ऊपर बढ़ रहे हों (अपट्रेंड में) या उच्च बिंदुओं को मिलाएं जो नीचे जा रहे हों (डाउनट्रेंड में)।
मूविंग एवरेजेस का उपयोग करें: अगर कीमत मूविंग एवरेज (जैसे 50-दिन की औसत) से ऊपर है तो अपट्रेंड माना जाता है, और नीचे हो तो डाउनट्रेंड।
उदाहरण में, जब कीमतें लगातार higher highs और higher lows बनाती हैं तब वह अपट्रेंड होता है, और जब lower highs और lower lows बनाती हैं तो डाउनट्रेंड।
इस प्रकार बाजार के चार्ट को देखकर आप आसानी से ट्रेंड की दिशा पहचान सकते हैं। इसके साथ ही सावधानी रखें कि कभी भी ट्रेंड अचानक रिवर्स हो सकता है, इसलिए स्टॉप लॉस और प्रॉफिट बुकिंग के नियमों का पालन करना चाहिए।
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