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Working capital kya hai

वर्किंग कैपिटल (Working Capital) किसी भी बिज़नेस के लिए वह पूंजी होती है, जिससे वह अपने रोज़मर्रा के खर्चों और दायित्वों को पूरा करता है। आसान शब्दों में, वर्किंग कैपिटल वह फंड है जो कंपनी को अपने दैनिक ऑपरेशन्स (जैसे कच्चा माल खरीदना, सैलरी देना, यूटिलिटी बिल्स चुकाना आदि) के लिए चाहिए होता है।

वर्किंग कैपिटल कैसे कैलकुलेट होती है?

वर्किंग कैपिटल = चालू संपत्तियाँ (Current Assets) - चालू दायित्व (Current Liabilities)

Current Assets: वे संपत्तियाँ जो 12 महीने के अंदर कैश में बदली जा सकती हैं, जैसे कि कैश, बैंक बैलेंस, इन्वेंट्री, खाताधारकों से प्राप्त रकम।

Current Liabilities: वे दायित्व जिन्हें एक साल के अंदर चुकाना होता है, जैसे कि सप्लायर्स का बिल, शॉर्ट-टर्म लोन आदि।

अगर किसी कंपनी की वर्किंग कैपिटल पॉज़िटिव है तो इसका मतलब है कंपनी अपनी शॉर्ट-टर्म देनदारियाँ आसानी से चुका सकती है और उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत है.

वर्किंग कैपिटल क्यों जरूरी है?

बिज़नेस को सुचारू रूप से चलाने के लिए।

डेली ऑपरेटिंग खर्चों को समय पर पूरा करने के लिए।

अच्छी क्रेडिट स्थिति बनाए रखने के लिए।

किसी इमरजेंसी या अचानक खर्च आने पर तुरंत जरूरतों को पूरा करने के लिए.
संक्षेप में, वर्किंग कैपिटल कंपनी की शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल हेल्थ और ऑपरेशनल एफिशिएंसी का संकेतक है। यदि सही मात्रा में वर्किंग कैपिटल न हो तो बिज़नेस को संचालन में दिक्कत आ सकती है।

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