Ticker

6/recent/ticker-posts

What is deep web and how it's works

डीप वेब (Deep Web) क्या है और यह कैसे काम करता है 

परिचय

इंटरनेट हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हम जितनी जानकारी गूगल, याहू या बिंग जैसी सर्च इंजनों से प्राप्त करते हैं, वह वास्तव में इंटरनेट का एक छोटा सा हिस्सा है जिसे Surface Web कहा जाता है। लेकिन इसके नीचे एक विशाल दुनिया है जिसे Deep Web कहते हैं। यह इंटरनेट का वह हिस्सा है जो आम सर्च इंजनों से छिपा होता है और जिसे सामान्य ब्राउज़िंग से एक्सेस नहीं किया जा सकता।



डीप वेब क्या है?



डीप वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे पारंपरिक सर्च इंजन (जैसे गूगल, याहू, बिंग आदि) इंडेक्स नहीं कर पाते। इसका मतलब यह है कि ये वेब पेज या सामग्री सामान्य सर्च में दिखाई नहीं देती। यह हिस्सा पासवर्ड-प्रोटेक्टेड, डायनामिक या एन्क्रिप्टेड होता है और सिर्फ विशेष एक्सेस के माध्यम से ही देखा जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर:

बैंक अकाउंट की डिटेल्स

मेडिकल रिकॉर्ड्स

शैक्षणिक संस्थानों के इन्टरनल डाटा

सब्सक्रिप्शन आधारित कंटेंट (जैसे Netflix, Amazon Prime)

क्लाउड स्टोरेज में स्टोर फाइल्स (जैसे Google Drive)

सरकारी डाटा बेस

पर्सनल सोशल मीडिया चैट्स

ये सभी डीप वेब का हिस्सा होते हैं, और ये अवैध नहीं होते। यह सिर्फ सुरक्षा और गोपनीयता के कारण गूगल जैसे सर्च इंजन से छिपे रहते हैं।



डीप वेब और डार्क वेब में अंतर



लोग अक्सर Deep Web और Dark Web को लेकर भ्रमित रहते हैं। जबकि दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं:

पहलू

डीप वेब (Deep Web)

डार्क वेब (Dark Web)

एक्सेस

पासवर्ड या परमिशन से

विशेष ब्राउज़र (जैसे Tor) से

उपयोग

वैध और सुरक्षित

कभी-कभी अवैध गतिविधियाँ

उदाहरण

बैंक साइट, क्लाउड डाटा

ड्रग्स मार्केट, हथियारों की बिक्री

खोज

सर्च इंजन से नहीं

स्पेशल लिंक से



डीप वेब कैसे काम करता है?



डीप वेब की कार्यप्रणाली साधारण वेबसाइटों से थोड़ी अलग होती है। इसमें कई परतें होती हैं जो एक्सेस कंट्रोल, एन्क्रिप्शन और डायनामिक सर्वर-कॉल के आधार पर बनी होती हैं। चलिए डीप वेब की कार्यप्रणाली को विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से समझते हैं:

1. एक्सेस नियंत्रण (Access Control)

कई वेबसाइटें यूज़रनेम और पासवर्ड के जरिए सुरक्षा प्रदान करती हैं। उदाहरण: जब आप बैंक की वेबसाइट खोलते हैं, तो लॉगइन के बिना आप कोई जानकारी नहीं देख सकते।

2. डायनामिक पेज जेनरेशन (Dynamic Page Generation)

कई बार पेज स्थायी (Static) नहीं होते बल्कि यूज़र की क्वेरी के अनुसार सर्वर से डेटा लेकर बनाए जाते हैं। सर्च इंजन ऐसे डायनामिक पेजों को इंडेक्स नहीं कर पाते।

3. रोबोट एक्सक्लूजन (robots.txt)

कई वेबसाइटें गूगल जैसे सर्च इंजनों को "robots.txt" फाइल के जरिए निर्देश देती हैं कि कौन से पेज क्रॉल नहीं करने हैं। इससे वे पेज डीप वेब का हिस्सा बन जाते हैं।

4. एनक्रिप्शन और सुरक्षा (Encryption and Security)

डीप वेब में अधिकांश जानकारी सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड होती है ताकि केवल अधिकृत व्यक्ति ही उसे देख सके।



डीप वेब के फायदे



गोपनीयता और सुरक्षा: निजी जानकारी, जैसे मेडिकल रिकॉर्ड्स और बैंकिंग डाटा, डीप वेब में सुरक्षित रहती है और हैकर्स या अनधिकृत लोगों की पहुंच से दूर होती है।

सरकारी और संस्थागत डेटा का प्रबंधन: सरकारी एजेंसियां और यूनिवर्सिटीज़ अपने इंटर्नल नेटवर्क्स को डीप वेब के माध्यम से ही नियंत्रित करती हैं।

क्लाउड सेवाओं की सुरक्षा: Google Drive, Dropbox जैसे क्लाउड प्लेटफॉर्म्स में सेव डाटा आम लोगों की पहुंच से बाहर होता है।



डीप वेब के खतरे



हालांकि डीप वेब खुद में अवैध नहीं है, लेकिन इसकी आड़ में कुछ खतरनाक प्लेटफॉर्म भी छिप सकते हैं – जैसे Dark Web। डार्क वेब डीप वेब का एक छोटा हिस्सा है लेकिन इसमें अपराध और अवैध गतिविधियों की संभावना अधिक होती है।

संभावित खतरे:

व्यक्तिगत जानकारी का लीक होना

हैकिंग और डेटा चोरी

फिशिंग साइट्स

अवैध मार्केट्स



डीप वेब को एक्सेस कैसे किया जाता है?



सामान्य उपयोगकर्ता डीप वेब को तब एक्सेस करते हैं जब वे:

किसी वेबसाइट में लॉग इन करते हैं

अपने ईमेल या क्लाउड स्टोरेज में फाइलें देखते हैं

नेट बैंकिंग का उपयोग करते हैं

किसी एंटरप्राइज पोर्टल या ERP सिस्टम को खोलते हैं

विशेष एक्सेस के तरीके:

वैध लॉगिन क्रेडेंशियल्स

यूज़र ऑथेंटिकेशन सिस्टम (2FA)

इन्ट्रानेट नेटवर्क्स

वीपीएन और सिक्योर ब्राउज़िंग



डीप वेब का आकार कितना बड़ा है?



विशेषज्ञों का मानना है कि डीप वेब, सरफेस वेब से 400 से 500 गुना बड़ा है। इसका मतलब यह है कि जो कंटेंट हम गूगल पर देख पाते हैं वह पूरी जानकारी का केवल 4-5% हिस्सा होता है, जबकि बाकी सारा कंटेंट डीप वेब में छिपा होता है।



क्या डीप वेब अवैध है?



नहीं। डीप वेब अवैध नहीं है। यह तो उन जरूरी सेवाओं और प्लेटफॉर्म्स का समूह है जो आम सर्च में दिखाए नहीं जाते। डीप वेब का उद्देश्य सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखना होता है। हालांकि, इसके एक छोटे हिस्से डार्क वेब में कुछ अवैध गतिविधियाँ जरूर होती हैं।



निष्कर्ष



डीप वेब इंटरनेट की एक विशाल और जरूरी परत है जो हमारी डिजिटल सुरक्षा और निजी जानकारी को संरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है। हालांकि यह सर्च इंजन से छिपी होती है, लेकिन इसका प्रयोग हम रोज़ करते हैं—चाहे बैंकिंग हो, ईमेल हो या क्लाउड डाटा एक्सेस करना। डीप वेब को सही दृष्टिकोण और जागरूकता के साथ समझना बहुत जरूरी है, ताकि इसके सही उपयोग का लाभ उठाया जा सके और गलत गतिविधियों से बचा जा सके।

Post a Comment

0 Comments