स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय (Activate) करने की सम्पूर्ण जानकारी
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| About Sacral Chakra |
स्वाधिष्ठान चक्र (Swadhisthana Chakra), जिसे सैकरेल चक्र (Sacral Chakra) भी कहते हैं, यह शरीर का दूसरा ऊर्जा केंद्र है। यह नाभि से थोड़ा नीचे, जननेंद्रियों के क्षेत्र में स्थित होता है। यह चक्र रचनात्मकता, भावनात्मक संतुलन, यौन ऊर्जा और आनंद से संबंधित है।
🔶 स्वाधिष्ठान चक्र की जानकारी:
तत्व -जल (Water)
स्थान -जननेंद्रिय क्षेत्र, नाभि के नीचे
रंग -नारंगी (Orange)
बीज मंत्र -वं (Vam)
इंद्रिय -स्वाद (Taste)
अंग -प्रजनन अंग, मूत्राशय, किडनी
गुण -रचनात्मकता, भावनाएं, यौन शक्ति, आनंद
🔅 स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय करने के तरीके:
1. बीज मंत्र जाप (Mantra Chanting)
प्रतिदिन शांत स्थान पर बैठकर "वं" (VAM) मंत्र का जाप करें।
इसे 108 बार या कम से कम 15-20 मिनट तक करें।
ध्यान दें कि उच्चारण स्पष्ट और गहरे स्वर में हो।
2. ध्यान (Meditation)
सुखासन में बैठें, आंखें बंद करें।
अपना ध्यान नाभि से नीचे वाले क्षेत्र पर केंद्रित करें।
कल्पना करें कि उस स्थान पर नारंगी रंग की ऊर्जा घूम रही है।
सांसों की गति पर ध्यान दें और “वं” का मानसिक जाप करते रहें।
3. योगासन (Yoga Asanas)
स्वाधिष्ठान चक्र को खोलने के लिए निम्न योगासन बहुत लाभकारी हैं:
भुजंगासन (Cobra Pose)
बद्ध कोनासन (Bound Angle Pose)
धनुरासन (Bow Pose)
उष्ट्रासन (Camel Pose)
4. मुद्राएँ (Hand Mudras)
शक्ति मुद्राः यह यौन शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाती है।
हाथों से शक्ति मुद्रा बनाकर ध्यान करें।
5. अभ्यास - क्रियाएं (Daily Practices)
नृत्य करें, संगीत सुनें, कोई रचनात्मक कार्य करें (पेंटिंग, लेखन आदि)।
जल तत्व से जुड़ाव बढ़ाएँ: तैराकी, जल के पास समय बिताना।
6. सकारात्मक भावनाएं और आत्म-स्वीकृति
अपने शरीर और भावनाओं को स्वीकार करें।
अपराधबोध, शर्म और क्रोध जैसी भावनाओं से मुक्ति पाएं।
⚠️ अवरुद्ध स्वाधिष्ठान चक्र के लक्षण:
अधिक सक्रिय
यौन विकृति, अत्यधिक भावुक,अत्यधिक वासना,लालच, जुनून
अवरुद्ध
आत्मग्लानि, रचनात्मकता की कमी, भय,यौन इच्छा की कमी,भावनात्मक अवरोध, असंतुलन
🌺 स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करने के लाभ:
रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति में वृद्धि
भावनात्मक स्थिरता
यौन ऊर्जा का संतुलन
आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव
📿 सरल दैनिक अभ्यास क्रम:
सुबह उठकर 10 मिनट ध्यान – “वं” मंत्र के साथ।
15-20 मिनट योगासन (भुजंगासन, बद्ध कोनासन)
स्नान के बाद नारंगी रंग का वस्त्र पहनें या वस्तुओं का उपयोग करें।
दिन में कम से कम एक रचनात्मक कार्य करें।
रात को सोने से पहले 5 मिनट शक्ति मुद्रा और ध्यान।
🧘♀️ स्वाधिष्ठान चक्र जागरण – 7 दिवसीय अभ्यास योजना
🌅 सभी दिनों के लिए सामान्य नियम (Daily Routine):
उठने का समय: सुबह 5:30 – 6:00 बजे
स्थान: शांत और स्वच्छ जगह
वस्त्र: हल्के रंग (विशेषतः नारंगी रंग)
अभ्यास समय: लगभग 45 मिनट प्रतिदिन
दिन 1 – शुद्धिकरण और जागरूकता
बीज मंत्र: “वं” मंत्र का 108 बार जाप
ध्यान: नाभि के नीचे क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करें (10 मिनट)
योगासन: भुजंगासन – 3 बार
बद्ध कोनासन – 2 मिनट
जल तत्व ध्यान: जल का स्वरूप कल्पना करें – शांत, बहता
दिन 2 – भावनात्मक शुद्धि
बीज मंत्र जाप – 108 बार
ध्यान अभ्यास – “मैं अपनी भावनाओं को स्वीकार करता हूँ” (Affirmation)
योगासन: उष्ट्रासन – 3 बार
पवनमुक्तासन – 2 बार
रचनात्मक अभ्यास: कोई चित्र बनाएं या संगीत सुनें
दिन 3 – आत्म-स्वीकृति और संतुलन
ध्यान: “मैं अपने शरीर और ऊर्जा को सम्मान देता हूँ”
शक्ति मुद्रा: 5 मिनट
योग: धनुरासन – 2 बार
मकरासन – विश्राम हेतु
बीज मंत्र – 54 बार, गहराई से
दिन 4 – जल तत्व साधना
प्राणायाम: अनुलोम-विलोम – 10 मिनट
जल स्पर्श: हाथों में पानी लेकर चक्र स्थल पर छिड़कें (कल्पना करें कि वह ऊर्जा दे रहा है)
ध्यान: बहती नदी की कल्पना करते हुए ध्यान करें
योग: बद्ध कोनासन, भुजंगासन
दिन 5 – कामशक्ति का संतुलन
अभ्यास: शक्ति मुद्रा + “वं” मंत्र (108 बार)
“मैं संतुलित और शुद्ध यौन ऊर्जा से भरा हूँ” (Affirmation)
योगासन: उष्ट्रासन, पश्चिमोत्तानासन
ध्यान: गहरी साँसों के साथ भावनाओं को प्रवाहित करें
दिन 6 – रचनात्मक उर्जा का विस्तार
ध्यान + बीज मंत्र (15 मिनट)
आर्ट थेरेपी: रंग भरना, लेखन या संगीत
योगासन: त्रिकोणासन,बद्ध कोणासन
Visualization: अपने भीतर नारंगी रंग की शक्ति फैलती हुई कल्पना करें
दिन 7 – संतुलन और कृतज्ञता
बीज मंत्र जाप – मन से, गहराई से
कृतज्ञता ध्यान: अपने शरीर, भावनाओं, और ऊर्जा के लिए आभार व्यक्त करें
योग: शवासन (5 मिनट) ,कोई भी पसंदीदा आसन
खुले में चलना: प्रकृति में 10 मिनट टहलें (ध्यानपूर्वक)
🌿 आवश्यक सुझाव:
नियमितता बहुत ज़रूरी है – एक भी दिन ना छोड़ें।
ताजे फल, पानी, नारंगी रंग की चीज़ें खाएं (संतरा, गाजर आदि)।
अधिक टीवी, मोबाइल और उत्तेजक विषयों से बचें।
“मैं रचनात्मक हूँ। मैं आनंद हूँ। मैं संतुलित हूँ।” – इस तरह के Positive Affirmations दिनभर दोहराएँ।

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