1. भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day)
परिचय:
15 जनवरी को हर साल भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना की वीरता, समर्पण और बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्त्व इसलिए है क्योंकि 15 जनवरी 1949 को लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने ब्रिटिश कमांडर जनरल फ्रांसिस बुचर से यह जिम्मेदारी ली थी।
महत्त्व:
सेना दिवस पर दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में भव्य परेड और सैन्य प्रदर्शन होते हैं। इसमें भारतीय सेना के जवान अपनी ताकत, अनुशासन और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन करते हैं। इस दिन शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है और वीरता पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।
संदेश:
सेना दिवस का संदेश है – "सेना देश की रक्षा का प्रतीक है, और सैनिक हमारे नायक हैं जो सीमाओं की रक्षा में जीवन समर्पित करते हैं।"
2. मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
परिचय:
मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का संकेत देता है और इसे सूर्य उपासना का पर्व माना जाता है। मकर संक्रांति को पौष मास के समाप्ति और माघ मास के आरंभ के रूप में भी देखा जाता है।
पौराणिक मान्यता:
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन से उत्तरायण (सूर्य का उत्तर दिशा की ओर गमन) आरंभ होता है। इसे देवताओं का दिन माना जाता है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ समय होता है।
पर्व के रूप और विविधता:
भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
उत्तर भारत – खिचड़ी पर्व
महाराष्ट्र – तिलगुल, पतंग उत्सव
पंजाब – लोहड़ी (14 जनवरी की रात)
गुजरात – उत्तरायण, पतंग महोत्सव
कर्नाटक/आंध्र प्रदेश – संक्रांति
तमिलनाडु – पोंगल
विशेष गतिविधियाँ:
तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।
लोग स्नान कर दान-पुण्य करते हैं।
पतंगबाजी का आयोजन होता है।
3. पोंगल (Pongal)
परिचय:
पोंगल दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु का एक प्रमुख चार दिवसीय फसल पर्व है। यह सूर्य देव और प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व 14 से 17 जनवरी तक चलता है और इसका दूसरा दिन यानी 15 जनवरी को मुख्य पोंगल दिवस होता है।
चार दिन का क्रम:
भोगी पोंगल – पुरानी वस्तुओं को जलाकर नए जीवन की शुरुआत।
सूर्य पोंगल – सूर्य देव को चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
मट्टू पोंगल – गायों और बैलों की पूजा की जाती है।
कन्या पोंगल / कनुम पोंगल – परिवार में मेल-मिलाप का दिन।
पोंगल पकवान:
इस दिन विशेष रूप से 'पोंगल' नामक व्यंजन बनाया जाता है जो चावल, दूध और गुड़ से तैयार होता है। इसे मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है और "पोंगलो पोंगल!" कहते हुए सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
4. उत्तरायण (Uttarayan)
परिचय:
उत्तरायण का अर्थ है – "उत्तर दिशा की ओर गमन"। खगोलशास्त्र के अनुसार, सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, तब यह परिवर्तन 14 या 15 जनवरी को होता है। इसे संक्रांति का विशेष रूप माना जाता है।
धार्मिक मान्यता:
महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु को टालते हुए उत्तरायण की प्रतीक्षा की थी क्योंकि यह मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठ काल माना जाता है। इसी कारण उत्तरायण को शुभ और पवित्र समय कहा जाता है।
निष्कर्ष:
15 जनवरी को एक नहीं, बल्कि कई पर्व और अवसर एक साथ आते हैं, जो भारत की विविधता, संस्कृति और एकता को दर्शाते हैं। एक ओर यह दिन हमारे वीर सैनिकों के सम्मान का प्रतीक है तो दूसरी ओर यह सूर्य देव और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी है। यह दिन हमें जीवन में कर्तव्य, श्रद्धा, संस्कृति, और प्रकृति के सम्मान की प्रेरणा देता है।
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