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20 January ko konsa divas hai

20 जनवरी : राष्ट्रीय अमर जवान दिवस (Amar Jawan Diwas)
परिचय

भारत के इतिहास में 20 जनवरी का दिन एक विशेष महत्त्व रखता है। यह दिन "अमर जवान दिवस" के रूप में मनाया जाता है, जो हमारे देश के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समर्पित है। यह दिवस उन बहादुर सैनिकों को याद करने का दिन है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह दिन खासतौर पर भारतीय सेना के बलिदान, वीरता और समर्पण को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

अमर जवान ज्योति का इतिहास

"अमर जवान ज्योति" एक अमर प्रतीक है, जो भारत के अज्ञात शहीद सैनिकों की स्मृति में बनवाया गया था। इसे वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा इंडिया गेट, नई दिल्ली पर स्थापित किया गया था। यह स्मारक एक राइफल के ऊपर सैनिक की टोपी और उसके चारों ओर जलती हुई ज्योति के रूप में बना हुआ है। यह ज्योति हर समय जलती रहती है, जो इस बात का प्रतीक है कि देश अपने शहीदों को कभी नहीं भूलता।

20 जनवरी का महत्त्व

हालांकि 26 जनवरी को "अमर जवान ज्योति" का उद्घाटन हुआ था, लेकिन 20 जनवरी को इसे पूरी तरह तैयार करके भारत की जनता को समर्पित कर दिया गया था। इसीलिए कई स्थानों पर 20 जनवरी को "राष्ट्रीय अमर जवान दिवस" के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के उन अज्ञात सैनिकों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने नाम, पहचान या प्रसिद्धि की परवाह किए बिना देश के लिए बलिदान दिया।

इस दिन की गतिविधियाँ

श्रद्धांजलि समारोह इस दिन दिल्ली में इंडिया गेट पर और अन्य राज्यों में शहीद स्मारकों पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं। इन समारोहों में सेना, नौसेना, वायुसेना तथा अर्धसैनिक बलों के जवान भाग लेते हैं और पुष्पचक्र अर्पित करते हैं।

सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें शहीदों के जीवन पर आधारित प्रस्तुतियाँ, भाषण, निबंध प्रतियोगिताएँ आदि शामिल होते हैं।

शहीद परिवारों का सम्मान इस अवसर पर शहीद सैनिकों के परिवारों को सम्मानित किया जाता है। उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया और देश उन्हें कभी नहीं भूलेगा।

शहीदों का योगदान

भारत के इतिहास में कई युद्ध और आतंकवादी घटनाएं हुई हैं जिनमें हजारों सैनिकों ने अपने प्राण गंवाए। 1947, 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों और कई आंतरिक संघर्षों में भारतीय सैनिकों ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया। चाहे वह कारगिल युद्ध हो या उरी, पुलवामा जैसी घटनाएं – हर बार भारतीय सेना ने अपनी ताकत और समर्पण का परिचय दिया है।

युवाओं के लिए प्रेरणा
अमर जवान दिवस न केवल शहीदों को सम्मान देने का दिन है, बल्कि यह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। यह उन्हें सिखाता है कि देश सेवा सबसे बड़ा धर्म है। यह दिन उन्हें देशभक्ति, अनुशासन और साहस के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।

सरकारी प्रयास

भारत सरकार भी शहीदों की स्मृति को बनाए रखने के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम चलाती है। सेना कल्याण बोर्ड, शहीदों के परिवारों को आर्थिक सहायता, पेंशन, शिक्षा और नौकरी की सुविधाएँ प्रदान करता है। इसके अलावा, कई राज्य सरकारें भी स्थानीय स्तर पर शहीद स्मारक बनवाती हैं और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शहीद परिवारों की मदद करती हैं।




पेंग्विन जागरूकता दिवस 

पेंग्विन जागरूकता दिवस हर साल 20 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पेंग्विन पक्षियों और उनके घटते आवासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। पेंग्विन जागरूकता दिवस 2025 की थीम है "पेंग्विन और उनके ठंडे दक्षिणी घर का जश्न मनाना", जो पेंग्विन के अनोखे अनुकूलन और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के संरक्षण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करती है। यह दिन जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अत्यधिक मछली पकड़ने से पेंग्विनों को हो रहे खतरों को उजागर करता है और उनके संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है
यह दिवस पेंग्विनों के व्यवहार, आवास और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों को शिक्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। पेंग्विन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और उनका संरक्षण पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है

निष्कर्ष

20 जनवरी को मनाया जाने वाला "राष्ट्रीय अमर जवान दिवस" केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह एक भावना है – देश के प्रति निष्ठा, त्याग और सम्मान की भावना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा कोई आसान उपलब्धि नहीं है, इसके पीछे अनेक वीरों की कुर्बानी छिपी है। हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह इन शहीदों के बलिदान को कभी न भूले और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करे।

"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।"

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