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What is Mudra

मुद्रा कितने प्रकार की होती हैं?
योग और आयुर्वेद में "मुद्रा" (Mudra) एक विशेष स्थिति होती है जो शरीर, मन और ऊर्जा के संतुलन को बनाए रखने के लिए की जाती है। यह हाथ, अंगुलियों, आंखों और शरीर की विशेष अवस्थाओं से बनती है।
मुद्राएं मुख्यतः प्राण ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।

मुख्य रूप से 5 प्रकार की हाथों की मुद्राएं होती हैं, और इनके अनेक उपप्रकार हैं।



🪷 मुख्य 5 प्रकार की हस्त मुद्राएं (Hand Mudras):

क्रम मुद्रा का नाम लाभ संकेत चित्र

1️⃣ ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra) मन को शांत करती है, ध्यान और स्मृति बढ़ाती है। 
2️⃣ प्राण मुद्रा (Prana Mudra) शरीर की ऊर्जा बढ़ाती है, थकान दूर करती है। 
3️⃣ वायु मुद्रा (Vayu Mudra) जोड़ों के दर्द और वात रोग में लाभकारी। 
4️⃣ अग्नि मुद्रा (Agni Mudra) पाचन क्रिया को सुधारती है, मोटापा घटाती है। 
5️⃣ जल मुद्रा (Varun Mudra) त्वचा की समस्याएं, डिहाइड्रेशन में लाभकारी। 



🌿 अन्य प्रमुख मुद्राएं:

मुद्रा लाभ संकेत चित्र

शून्य मुद्रा (Shunya Mudra) कान के रोगों में लाभकारी 
आकाश मुद्रा (Akash Mudra) माइग्रेन, सिरदर्द और मन की शांति 
लिंग मुद्रा (Ling Mudra) प्रतिरक्षा शक्ति और शरीर की गर्मी बढ़ाती है 
अपान वायु मुद्रा ( Apan Vayu Mudra) एक योगिक हस्तमुद्रा है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। यह मुद्रा विशेष रूप से हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र और ऊर्जा संतुलन के लिए उपयोग की जाती है।
ध्यान मुद्रा (Dhyana Mudra) ध्यान में उपयोग होती है 
अनुलोम विलोम मुद्रा नाड़ी शोधन और मानसिक संतुलन - (सांस लेने की प्रक्रिया, विशेष मुद्रा नहीं)




🕉️ मुद्राओं के लाभ:

मानसिक तनाव कम करना

ध्यान केंद्रित करना

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना

ऊर्जा संतुलन बनाए रखना

आत्मज्ञान की प्राप्ति




⏳ मुद्राएं कब और कितनी देर करें?

प्रतिदिन 15-45 मिनट तक।

सुबह खाली पेट सबसे उत्तम समय है।

ध्यान के साथ करें, शांति और स्थिरता रखें।



🌿 मुख्य हस्त मुद्राएं और उनके लाभ (Mudras with Benefits):

1. ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra)

कैसे करें: अंगूठे और तर्जनी को मिलाएं, बाकी उंगलियाँ सीधी रखें।

लाभ: ध्यान और मानसिक शांति, याददाश्त बढ़ाए।



2. प्राण मुद्रा (Prana Mudra)

कैसे करें: अंगूठा, अनामिका और छोटी उंगली को मिलाएं।

लाभ: शरीर में ऊर्जा लाता है, थकान दूर करता है।



3. वायु मुद्रा (Vayu Mudra)

कैसे करें: तर्जनी को मोड़कर अंगूठे से दबाएं।

लाभ: वात दोष, जोड़ों के दर्द में फायदेमंद।



4. अग्नि मुद्रा (Agni Mudra)

कैसे करें: अनामिका को मोड़कर अंगूठे से दबाएं।

लाभ: पाचन शक्ति बढ़ाता है, मोटापा कम करता है।



5. जल मुद्रा (Varun Mudra)

कैसे करें: अंगूठा और छोटी उंगली को मिलाएं।

लाभ: त्वचा चमकदार बनाता है, शरीर में पानी की मात्रा संतुलित करता है।



6. शून्य मुद्रा (Shunya Mudra)

कैसे करें: मध्यमा को मोड़कर अंगूठे से दबाएं।

लाभ: कान दर्द, बहरापन, और चक्कर में राहत।



7. आकाश मुद्रा (Akash Mudra)

कैसे करें: अंगूठा और मध्यमा को मिलाएं।

लाभ: सिरदर्द, माइग्रेन और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है।



8. लिंग मुद्रा (Linga Mudra)

कैसे करें: दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ें, अंगूठा सीधा ऊपर रखें।

लाभ: शरीर में गर्मी बढ़ाता है, सर्दी-जुकाम में लाभकारी।



9. ध्यान मुद्रा (Dhyana Mudra)

कैसे करें: दोनों हथेलियों को गोद में रखें, दाएं हाथ को बाएं के ऊपर रखें।

लाभ: गहन ध्यान, आत्मिक शांति।

10. अपान वायु मुद्रा (Apan Vayu mudra)

मध्यमा (middle finger) और अनामिका (ring finger) को मोड़कर अंगूठे के शीर्ष से स्पर्श करें।
तर्जनी (index finger) को मोड़ें ताकि उसकी नोक अंगूठे के मूल (base) से लगे। कनिष्ठा (little finger) को सीधा रखें।

लाभ: हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र और ऊर्जा संतुलन के लिए


11. अंजलि मुद्रा (Anjali Mudra) को हिंदी में "अंजलि मुद्रा" या "प्रणाम मुद्रा" कहा जाता है। यह एक योगिक हस्त-मुद्रा है जिसे आमतौर पर नमस्कार, ध्यान और प्रार्थना के समय उपयोग किया जाता है।

अंजलि मुद्रा का अर्थ:

"अंजलि" का संस्कृत में अर्थ है "अर्पण" या "भेंट", और "मुद्रा" का अर्थ है हाथों की स्थिति। इस मुद्रा में दोनों हथेलियों को जोड़कर हृदय के सामने रखा जाता है।
अंजलि मुद्रा कैसे करें:

1. सीधे खड़े हो जाएँ या सुखासन में बैठें।
2. दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़ें।
3. अंगुलियाँ ऊपर की ओर रहें और दोनों अंगूठे छाती को स्पर्श करें।
4. आँखें बंद करें और मन को शांत करें।

लाभ: नम्रता और कृतज्ञता का भाव , मन की एकाग्रता बढ़ती है।

12. पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा अंगूठे (जो पृथ्वी तत्व का प्रतीक है) और अनामिका उंगली (जो पृथ्वी और जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है) को मिलाकर बनाई जाती है।


🙌 कैसे करें पृथ्वी मुद्रा?

1. आराम से पद्मासन, सुखासन या किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठें।
2. दोनों हाथों की अनामिका उंगली के अग्रभाग (tip) को अंगूठे के अग्रभाग से स्पर्श कराएं।
3. बाकी तीनों उंगलियां सीधी रखें।
4. हथेलियों को घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।
5. इस मुद्रा को 15–30 मिनट तक करें, सुबह के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है।

⚠️ सावधानियां

यदि आपके शरीर में पहले से ही कफ (बलगम) अधिक है तो इस मुद्रा को सीमित समय तक ही करें।

अधिक वजन वाले लोग इसे संतुलित तरीके से करें।





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