शेयर मार्केट में बोनस क्या है?
बोनस शेयर का मतलब है जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को उनके पास मौजूद शेयरों के अनुपात में “फ्री में” अतिरिक्त शेयर देती है। बोनस शेयर देने से कंपनी के कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कंपनी की कुल वैल्यू (मार्केट कैपिटलाइजेशन) में कोई बदलाव नहीं होता।
बोनस शेयर क्यों दिए जाते हैं?
कंपनी के पास अच्छा खासा फंड (रेजर्व) होता है, लेकिन वह उसे डायरेक्टली कैश में नहीं बांटती।
शेयर की कीमत ज्यादा हो चुकी है, शेयर को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए बोनस देने से शेयर की कीमत कम हो जाती है (फेस वैल्यू के हिसाब से)।
शेयरहोल्डर को लॉन्ग टर्म में रिवॉर्ड करने के लिए।
बोनस शेयर किस अनुपात में मिलते हैं?
आम तौर पर बोनस रेशियो घोषित किया जाता है, जैसे 1:1, 2:1, 1:2 वगैरह।
उदाहरण: मान लीजिए आपके पास 100 शेयर हैं और कंपनी 1:1 बोनस घोषित करती है, तो आपको 100 और फ्री में मिल जाएंगे और आपके कुल शेयर 200 हो जाएंगे।
2:1 का मतलब – हर 1 शेयर पे 2 बोनस शेयर (100 शेयर पे 200 बोनस शेयर, कुल 300 शेयर)।
बोनस शेयर मिलने पर क्या फायदा और क्या असर?
शेयर की मार्केट वैल्यू लगभग उतनी ही रहती है, क्योंकि शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और प्रति शेयर कीमत घट जाती है।
शेयरहोल्डर की कुल वैल्यू में कोई फर्क नहीं पड़ता – लेकिन शेयरों की संख्या बढ़कर, लिक्विडिटी (खरीद-बिक्री) बढ़ जाती है।
बोनस शेयर टैक्सेबल नहीं होते जब आपको मिलते हैं; लेकिन बाद में बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
बोनस शेयर कैसे मिलते हैं?
कंपनी बोनस रिकॉर्ड डेट और एक्स-बोनस डेट घोषित करती है।
रिकॉर्ड डेट तक जिनके पास कंपनी का शेयर है, उन्हें ही बोनस मिलेगा।
संक्षिप्त जानकारी
बोनस शेयर फ्री में मिलते हैं, पर कुल वैल्यू में कोई फायदा-नुकसान नहीं होता।
लॉन्ग टर्म होल्डिंग के लिए फायदेमंद माने जाते हैं।
टैक्स योजना समझकर निवेश करें।
“बोनस इश्यू मुख्यतः शेयरहोल्डरों को कंपनी के रिटेन्ड अर्निंग का फायदा देने का एक तरीका है, वह भी बिना नकद भुगतान के।”
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