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Difference between Breakout & Breakdown

ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन शेयर मार्केट की तकनीकी विश्लेषण में दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं, जो स्टॉक की कीमत किस दिशा में जा रही है यह बताती हैं:

ब्रेकआउट (Breakout): जब स्टॉक की कीमत किसी निर्धारित प्रतिरोध (resistance) स्तर से ऊपर चली जाती है, तो इसे ब्रेकआउट कहते हैं। इसका मतलब यह होता है कि कीमत ने उस सीमा को पार कर लिए और आगे बढ़ने की संभावना होती है। ब्रेकआउट आमतौर पर खरीदारी का संकेत होता है, क्योंकि यह बताता है कि खरीदार स्टॉक की कीमत को ऊपर ले जा रहे हैं।

ब्रेकडाउन (Breakdown): इसके विपरीत, जब स्टॉक की कीमत किसी समर्थन (support) स्तर से नीचे गिर जाती है, तो इसे ब्रेकडाउन कहा जाता है। यह संकेत होता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाने वाली है और विक्रेता बाजार में दबाव बना रहे हैं। ब्रेकडाउन बेचने का संकेत होता है।
Breakout v/s Breakdown


सारांश में:


ब्रेकआउट = कीमत का ऊपर जाना और प्रतिरोध स्तर पार करना (खरीदारी का सिग्नल)

ब्रेकडाउन = कीमत का नीचे गिरना और समर्थन स्तर टूटना (बेचने का सिग्नल)

दोनों ही संकेत ट्रेडिंग रणनीति में इस्तेमाल होते हैं ताकि बाजार में आने वाले बड़े रुखों का फायदा उठाया जा सके। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि कभी-कभी ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन फेक भी हो सकते हैं, इसलिए वॉल्यूम और अन्य तकनीकी संकेतों की पुष्टि जरूरी होती है।

Fake Breakout और Genuine Breakout में फर्क:


Genuine Breakout (असली ब्रेकआउट)


जब स्टॉक या किसी अन्य एसेट की कीमत किसी महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) लेवल को पार कर जाती है और उसके बाद भी वह तेजी से बढ़ती रहती है।

इसके साथ वॉल्यूम (लेनदेन की मात्रा) में भी वृद्धि होती है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि खरीदार बाजार में मजबूत हैं।

कीमत ब्रेकआउट के बाद नए उच्च स्तर पर बनी रहती है और आगे बढ़ने की संभावना होती है।

सामान्यत: इसका मतलब होता है कि यह ब्रेकआउट असली है और बाजार में ट्रेंड का बदलाव हो रहा है।

Fake Breakout (फेक ब्रेकआउट)


जब कीमत एक रेजिस्टेंस या सपोर्ट लेवल को तोड़ देती है लेकिन तुरंत वापस उसी रेंज में आ जाती है या उलटी दिशा में मूव करती है।

इस दौरान वॉल्यूम कम रहता है या बढ़ोतरी नहीं होती, जिससे पता चलता है कि खरीदार या विक्रेता पूरी ताकत के साथ समर्थन नहीं कर रहे हैं।

फेक ब्रेकआउट में कीमत ट्रेंड जारी नहीं रख पाती और अक्सर तेजी से उलट जाती है, जिससे ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है।

यह एक प्रकार की धोखा देने वाली मूव होती है, जो कई बार स्टॉप लॉस को ट्रिगर करवा सकती है।

फेक ब्रेकआउट और जेनुइन ब्रेकआउट को पहचानने के लिए:

वॉल्यूम इम्पोर्टेंट है: जेनुइन ब्रेकआउट में वॉल्यूम बढ़ता है, फेक ब्रेकआउट में नहीं।

रीटेस्ट चेक करें: असली ब्रेकआउट के बाद कीमत पुराने रेजिस्टेंस या सपोर्ट पर वापस आती है और फिर उसी दिशा में बढ़ती है।

कंसोलिडेशन का ध्यान: लंबे समय तक कंसोलिडेशन के बाद ब्रेकआउट का होना ज्यादा विश्वसनीय होता है।

बाजार के अन्य संकेतकों से पुष्टि करें।


इस तरह, फेक ब्रेकआउट धोखा हो सकता है जबकि Genuine Breakout एक मजबूत और टिकाऊ मूव होती है। सावधानी और वॉल्यूम वरीयता से ट्रेडिंग में इन दोनों में अंतर समझकर बेहतर निर्णय लिया जा सकता है.

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