भविष्य की निश्चितता की कमी: टेक्निकल एनालिसिस पिछले प्राइस मूवमेंट्स और चार्ट पैटर्न पर आधारित होता है, जो बाजार की भविष्य की दिशा की सुनिश्चित भविष्यवाणी नहीं कर सकता। बाजार अप्रत्याशित रूप से बदल सकता है।
ऐतिहासिक डेटा पर अत्यधिक निर्भरता: यह पूरी तरह से अतीत के आंकड़ों पर आधारित होता है और मानता है कि पुराने पैटर्न भविष्य में भी काम करेंगे, जो हर बार सही नहीं होता।
व्यक्तिपरकता: विभिन्न विश्लेषक एक ही चार्ट और संकेतकों की अलग-अलग तरह से व्याख्या कर सकते हैं, जिससे निष्कर्षों में भिन्नता हो सकती है।
पीछे चलने वाले संकेतक: कई तकनीकी संकेतक मूल्य आंदोलनों के बाद संकेत देते हैं, इसलिए कभी-कभी ट्रेडिंग सिग्नल देर से मिलते हैं।
मूलभूत कारकों की अनदेखी: टेक्निकल एनालिसिस कंपनी की खबरें, आर्थिक रिपोर्ट, उद्योग में बदलाव जैसे फंडामेंटल कारकों को ध्यान में नहीं रखता।
अधिक आत्मविश्वास का खतरा: कुछ ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस पर ज्यादा विश्वास करके बिना पर्याप्त जानकारी के जोखिम लेने लगते हैं, जिससे नुकसान हो सकता है।
झूठे संकेत (False Signals): कभी-कभी तकनीकी संकेतक गलत संकेत देते हैं, जो गलत ट्रेडिंग फैसलों का कारण बन सकते हैं।
इन सीमाओं के कारण, टेक्निकल एनालिसिस को फंडामेंटल एनालिसिस के साथ मिलाकर और उचित रिस्क मैनेजमेंट के साथ इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है। यह आपको बाजार के अंदरूनी कारणों को समझने में मदद करता है और जोखिम कम करता है।
इस प्रकार, टेक्निकल एनालिसिस एक उपयोगी टूल है लेकिन पूर्ण नहीं है और इसके नतीजों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। संयम और समझदारी से इसका उपयोग करना जरूरी होता है।
0 Comments