पोजीशन साइजिंग (Position Sizing) क्या है?
पोजीशन साइजिंग ट्रेडिंग में उस राशि को बताता है जो आप एक ट्रेड में लगाते हैं। यह आपके ट्रेडिंग कैपिटल को सुरक्षित रखने और जोखिम को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण रणनीति है।
पोजीशन साइजिंग क्यों जरूरी है?
जोखिम कंट्रोल: यह सुनिश्चित करता है कि अगर कोई ट्रेड गलत जाता है, तो भी आपकी कुल पूंजी पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़े।
इमोशनल कंट्रोल: बराबर राशि के ट्रेड करने पर इमोशनल डिसीजन कम होते हैं।
लॉन्ग टर्म सर्वाइवल: लगातार नुकसान में भी आप अपने अकाउंट को ब्लो-अप होने से बचा सकते हैं।
कैसे तय करें कि एक ट्रेड में कितना पैसा लगाना है?
Step 1: अपनी कुल पूंजी (Capital) जानें
उदाहरण: मान लीजिए आपके पास ₹1,00,000 है।
Step 2: प्रति ट्रेड अधिकतम रिस्क तय करें
अक्सर प्रॉफेशनल ट्रेडर सलाह देते हैं कि आप किसी भी एक ट्रेड में अपनी कुल पूंजी का 1% - 2% से ज्यादा रिस्क न लें।
1% रिस्क: ₹1,000 (₹1,00,000 का 1%)
Step 3: स्टॉप-लॉस पॉइंट तय करें
मान लीजिए आपने स्टॉक ₹500 पर खरीदा और स्टॉप-लॉस ₹495 पर लगाया है।
प्रति शेयर रिस्क = ₹500 - ₹495 = ₹5
Step 4: पोजीशन साइज फॉर्मूला
p osition size = (Maximum Risk per Trade) / (Risk per Share)
Maximum Risk per Trade: ₹1,000
Risk per Share: ₹5
पोजीशन साइज = ₹1,000 / ₹5 = 200 शेयर
महत्वपूर्ण बातें
हमेशा पहले स्टॉप-लॉस तय करें, फिर पोजीशन साइज निकालें।
किसी एक सिंगल ट्रेड में ओवरकॉनफिडेंस में ज्यादा राशि न लगाएं।
लॉस हो तो साइज घटाएं, गेन हो तो बढ़ाएं (ट्रेडिंग प्लान के अनुसार)।
ट्रेडर के लिए टिप्स
एक्सल शीट या ट्रेडिंग जर्नल में अपने सारे कैलकुलेशन लिखें।
मार्केट हाईली वोलाटाइल हो तो रिस्क और साइज सब घटा दें।
अपने साइजिंग के नियमों को फॉलो करें, भले ही कई बार छोटे प्रॉफिट मिलें।
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