रिस्क मैनेजमेंट की मुख्य रणनीतियों:
विविधीकरण (Diversification): अलग-अलग सेक्टर, कंपनियों और एसेट क्लासेज़ में निवेश कर जोखिम को फैलाना।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर: यदि शेयर की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे जाती है तो अपने नुकसान को सीमित करने के लिए अपने शेयर बेच देना।
हेजिंग: डेरिवेटिव्स जैसे फाइनेंशियल टूल्स का इस्तेमाल कर संभावित नुकसान को ऑफसेट करना।
पोर्टफोलियो समीक्षा: नियमित रूप से अपने निवेश का आकलन और समायोजन करना।
पोजीशन साइजिंग: हर एक निवेश में अपनी कुल पूंजी का छोटा हिस्सा लगाना ताकि एक ट्रेड में बड़ा नुकसान न हो।
रिस्क मैनेजमेंट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार सूझ-बूझ से निर्णय लें और भावनात्मक फैसलों से बचें। सही रणनीतियों अपनाकर बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबे समय में पूंजी की रक्षा और स्थिर रिटर्न पाया जा सकता है। शेयर बाजार में जोखिम को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन रिस्क मैनेजमेंट से उसे काफी कम किया जा सकता है.

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