परिभाषा
"Downtrend" को हिंदी में गिरावट कहा जाता है। शेयर या किसी वित्तीय संपत्ति (asset) की कीमत जब लगातार घटती है और हर उच्चतम बिंदु (Lower High) और निम्नतम बिंदु (Lower Low) पिछले से नीचे होता है, तो उसे डाउनट्रेंड माना जाता है।
मुख्य विशेषताएं
लगातार गिरती कीमतें: डाउनट्रेंड में स्टॉक या अन्य संपत्ति की कीमतें धीरे-धीरे घटती रहती हैं।
Lower Highs & Lower Lows: हर नया High पिछले High से नीचे और हर नया Low पिछले Low से नीचे बनता है।
बेयरिश सिग्नल: डाउनट्रेंड बाज़ार में बिकवाली (Selling) का संकेत देता है।
इन्वेस्टर्स की रणनीति: निवेशक और ट्रेडर्स आमतौर पर बेचने का मन बनाते हैं क्योंकि गिरावट जारी रह सकती है।
पहचान कैसे करें?
चार्ट पैटर्न: चार्ट पर अगर High और Low लगातार नीचे बनते दिखें, तो यह डाउनट्रेंड है।
ट्रेंड लाइन: एक ढलानयुक्त सीधी रेखा (Trend Line) जरूर देखें जो Highs को जोड़ती है।
मार्केट भावना: मांग कम और सप्लाई ज्यादा रहती है; यानी बिकवाली का दबाव होता है।
डाउनट्रेंड क्यों होता है?
आर्थिक कमजोरी: जैसे मंदी, बेरोजगारी बढ़ना, ब्याज दर बढ़ना आदि।
कमाई कम होना: कंपनी का मुनाफा घट जाना।
नकारात्मक खबरें: पॉलिसी, रेगुलेशन में बदलाब, इंटरनेशनल इवेंट्स आदि।
उदाहरण
अगर किसी शेयर की कीमत ₹200 से गिरकर ₹150 और फिर ₹100 हो जाती है, तो यह डाउनट्रेंड को दर्शाता है। यहाँ हर नया High और Low, पिछले वाले से नीचे बैठता है।
अन्य महत्वपूर्ण बातें
डॉव थ्योरी: जब तक ट्रेंड के रिवर्सल के पक्के संकेत न मिले, डाउनट्रेंड जारी रहता है।
नकली ब्रेकडाउन सावधानी: कई बार फेक ब्रेकडाउन भी हो सकता है, इसलिए बिना कंफर्मेशन के ट्रेड न लें।
साइडवेज़ मार्केट: जब कीमतें न ऊपर जाएं न नीचे, तब साइडवेज़ मार्केट होता है।
सारांश:
डाउनट्रेंड का मतलब है शेयर या वित्तीय संपत्ति की कीमतों में लगातार गिरावट, जिसमें हर नया High और Low, पिछले से नीचे होता है। यह बेयरिश मार्केट का संकेत देता है, जिसमें निवेशक आमतौर पर बिकवाली की रणनीति अपनाते हैं।
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